बिहार विधानसभा चुनाव 2024 से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-Ramvilas) के प्रमुख चिराग पासवान ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है। पिछले एक महीने में आरा, नालंदा और राजगीर के बाद अब वे 6 जुलाई को छपरा, फिर मुंगेर और गया में रैलियां करने जा रहे हैं। खास बात यह है कि ये सभी स्थान NDA के वरिष्ठ नेताओं – राजीव प्रताप रूडी (छपरा), ललन सिंह (मुंगेर) और जीतनराम मांझी (गया) के प्रभाव क्षेत्र हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे चिराग की “तीन स्तरीय रणनीति” मान रहे हैं:
1. दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश
- 29 जून को राजगीर में आयोजित बहुजन भीम समागम के जरिए चिराग ने पासवान समुदाय के साथ-साथ अन्य दलित जातियों को लुभाने की कोशिश की।
- अब गया में जीतनराम मांझी के गढ़ में रैली करके वे मुसहर और चमार वोटों पर दावा ठोक रहे हैं।
2. NDA सहयोगियों को अप्रत्यक्ष चुनौती
- छपरा में राजीव प्रताप रूडी (BJP) और मुंगेर में ललन सिंह (JDU) के क्षेत्र में रैली करके चिराग साबित करना चाहते हैं कि LJP-Ramvilas NDA में बराबर की भागीदार है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह चाल सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाने के लिए है।
3. पिता रामविलास पासवान की विरासत को पुनर्जीवित करना
- चिराग अपने भाषणों में लगातार “बाबूजी के सपनों का बिहार” का जिक्र कर रहे हैं।
- हाजीपुर, समस्तीपुर और खगड़िया जैसे पारंपरिक LJP गढ़ों में पार्टी का संगठन मजबूत करने पर जोर।
NDA में खटपट: चिराग vs मांझी की टकराहट
हम (HAM) नेता जीतनराम मांझी ने हाल में कहा था कि “दलित नेताओं को एकजुट होकर काम करना चाहिए” – जिसे चिराग के प्रति असंतोष का संकेत माना गया। चिराग ने जवाब में “मांझी जी हमारे आदरणीय हैं” कहकर स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन गया की 3 सीटों (इमामगंज, बाराचट्टी, टिकारी) पर दोनों दलों का दावा टकराव पैदा कर रहा है।
चुनावी समीकरण: क्या है LJP-Ramvilas का लक्ष्य?
- 2020 के विधानसभा चुनाव में LJP को मात्र 1 सीट मिली थी।
- इस बार चिराग 40+ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, जिसमें से 25-30 पर जीत की उम्मीद जता रहे हैं।
- BJP के साथ मोलभाव करने की रणनीति – अगर चिराग मजबूत दिखेंगे तो उन्हें अधिक सीटों का सौदा मिल सकता है।