महाराष्ट्र की सियासत में आज अहम दिन है। 20 साल से एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने वाले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आज एक मंच पर साथ नजर आए। दोनों भाइयों ने पहले राज्य सरकार की थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के विरोध में आज एक रैली का ऐलान किया था लेकिन विवाद बढ़ने पर महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी को फिलहाल स्थगित कर दिया।

इसको उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना UBT और राज ठाकरे की पार्टी MNS अब ‘मराठी विजय दिन’ के नाम से सेलीब्रेट कर रही है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि वे हिंदी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे थोपना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तीन भाषा नीति का विरोध करते हैं। वहीं राज ठाकरे का कहना है कि ये निरंकुश शासन लाने का छुपा हुआ एजेंडा है। मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है।
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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया। हम दोनों को साथ लाने का काम।
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र सरकार ने इस साल 16 और 17 अप्रैल को हिंदी अनिवार्य करने से जुड़े दो आदेश दिए थे। इसके विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को संयुक्त रैली का ऐलान किया था। बाद में 29 जून को सरकार ने दोनों आदेश रद्द कर दिए। इस पर उद्धव ने दावा किया कि विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा। आज इस फैसले को लेकर विजय रैली के लिए दोनों भाई एक साथ नजर आए। राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नाम से नई पार्टी बनाई थी। शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत इस मौके को उत्सव बता रहे हैं।