अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा व्यापारिक कदम उठाते हुए 14 देशों पर नए टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि भारत के साथ लंबे समय से अटकी व्यापार डील अब बहुत करीब पहुंच चुकी है और जल्द ही इसे लेकर औपचारिक घोषणा की जा सकती है।
व्हाइट हाउस में सोमवार रात आयोजित एक रात्रिभोज के दौरान ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए ये बातें कही। यह भोज इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सम्मान में आयोजित किया गया था। ट्रंप ने बताया कि अमेरिका ने हाल ही में ब्रिटेन और चीन के साथ व्यापार समझौते किए हैं और जिन देशों के साथ समझौता संभव नहीं हो पाया, उन्हें अब टैरिफ के तहत कवर किया जाएगा।
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राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हम विभिन्न देशों को पत्र भेज रहे हैं जिसमें उन्हें बताया जा रहा है कि उन्हें अमेरिका के साथ व्यापार करते समय कितने प्रतिशत शुल्क देना होगा। कुछ मामलों में रियायत दी जा सकती है, अगर उनके पास उचित कारण हो। हम किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे।”
14 देशों पर नया शुल्क लागू
जिन 14 देशों पर टैरिफ लगाया गया है उनमें शामिल हैं: बांग्लादेश, बोस्निया और हर्जेगोविना, कंबोडिया, इंडोनेशिया, जापान, कजाखस्तान, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, सर्बिया, ट्यूनीशिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड। इनमें म्यांमार और लाओस को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जहां 40% तक टैरिफ लगाया गया है।
भारत के साथ डील को लेकर आशा
ट्रंप की यह टिप्पणी अमेरिका और भारत के बीच वॉशिंगटन में हाल ही में हुई व्यापार वार्ताओं के कुछ दिनों बाद आई है। दोनों देश 9 जुलाई तक एक समझौते पर पहुंच सकते हैं, ऐसी उम्मीद पहले जताई गई थी। अब ट्रंप 1 अगस्त तक की नई समयसीमा निर्धारित करने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “यह समयसीमा तय तो है, लेकिन 100% नहीं। अगर भारत कोई वैकल्पिक रास्ता चुनता है, तो हम उस पर भी विचार को तैयार हैं।” भारत की ओर से भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में कहा था कि भारत राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए तैयार है, लेकिन यह किसी दबाव या तय समयसीमा में नहीं किया जाएगा।
किसानों की चिंता बनी चुनौती
व्यापार वार्ता में भारत की प्रमुख चिंता का विषय उसका कृषि क्षेत्र है। भारत ने अमेरिका से यह स्पष्ट किया है कि वह अभी अपने किसानों के हितों को देखते हुए डेयरी और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (GM) फसलों के लिए बाजार पूरी तरह नहीं खोल सकता। भारतीय पक्ष का मानना है कि अमेरिकी डेयरी फार्मों के औद्योगिक स्तर के सामने छोटे किसान प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।