पटना. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने हाजीपुर के शाही कॉलोनी स्थित डॉ. ज्योति प्रसाद जी के आवास पर आयोजित रामाश्रम सत्संग समारोह में भाग लिया और गुरुपूर्णिमा पर्व के अवसर पर परंपरागत रूप से गुरुपूजन किया। यह अवसर आध्यात्मिक भक्ति, गुरु-वंदना और शिष्यत्व के शुद्धतम भाव से ओतप्रोत रहा।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रो. नंदन ने कहा कि गुरुपूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का आत्मस्वरूप है। यह वह अवसर है जब हम अपने जीवन में गुरु की महिमा को स्वीकारते हुए आत्मिक उन्नयन की ओर पहला कदम बढ़ाते हैं। उन्होंने विशेष रूप से रामाश्रम सत्संग, मथुरा की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परंपरा हमें सिखाती है कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी आत्मबोध, सेवा, साधना और संतुलित जीवन संभव है। उन्होंने कहा कि इस गुरु-शिष्य परंपरा में परम पूज्य दादा गुरु श्री रामचंद्र जी महाराज (लालाजी) और समर्थ गुरु डॉ. चतुर्भुज सहाय जी जैसे संतों ने मार्गदर्शन का अमृत प्रवाहित किया, जिससे आज करोड़ों साधक आत्मिक प्रकाश से आलोकित हो रहे हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि गुरुपूजन, गुरुदेव का सूक्ष्म स्वरूप है—जहां ज्ञान, प्रेम, शांति और आनंद स्वयं उपस्थित होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन को सार्थक और पावन बनाना है तो अपने भीतर से अहंकार, बनावट और द्वैधता को समाप्त करना ही होगा। गुरु कृपा उन्हीं को मिलती है जो शुद्ध विचार, सरल व्यवहार और निस्वार्थ सेवा के मार्ग पर चलते हैं।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि सद्गुरु से प्रेम करना ही सर्वोच्च इबादत है। यही प्रेम जीवन में सहनशीलता, सेवा और समर्पण जैसे गुणों को जन्म देता है, जो आत्मिक उन्नति की नींव हैं।