सालों से चले आ रहे सोन नदी जल बंटवारे के विवाद का अंततः समाधान हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार और झारखंड के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ। इसके तहत सोन नदी के पानी का बंटवारा स्पष्ट रूप से तय किया गया है।
क्या है नया समझौता?
बैठक में तय हुआ कि सोन नदी के कुल 7.75 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी में से 5.75 MAF बिहार को और 2.00 MAF झारखंड को मिलेगा। यह निर्णय 1973 के बाणसागर समझौते के आधार पर लिया गया, जिसमें झारखंड अलग राज्य नहीं था।
क्यों था विवाद?
- 2000 में झारखंड के गठन के बाद नए राज्य ने सोन नदी के पानी में आधी हिस्सेदारी की मांग की थी।
- बिहार सरकार 1973 के समझौते के आधार पर पूरा हक जताती रही।
- केंद्र सरकार ने कई बार बैठकें कीं, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया था।
अमित शाह की भूमिका
इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मौजूद रहे। अमित शाह ने दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई।
सोन नदी का महत्व
सोन नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार से होकर गुजरती है। यह दक्षिण बिहार की जीवनरेखा मानी जाती है, जिस पर लाखों किसानों की सिंचाई निर्भर है।