Bihar Politics : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान पर सियासत गर्मा गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे अभियान की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। महागठबंधन के नेताओं के साथ उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उनके साथ विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस नेता शकील अहमद खान समेत महागठबंधन के कई नेता मौजूद थे।
Bihar Politics : तेजस्वी के बयान पर जीतन राम मांझी का पलटवार.. कहा- जंगल राज के महाराज और युवराज
इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है और इस प्रक्रिया को जानबूझकर विपक्षी दलों की भागीदारी से दूर रखा जा रहा है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से संबंधित फॉर्म सड़क और फ्लाईओवरों पर फेंके गए हैं। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें कई फॉर्म खुले में पड़े दिखाई दे रहे हैं। तेजस्वी ने कहा, “पटना के गांधी मैदान और फ्लाईओवरों पर बिखरे पड़े फॉर्म इस पूरे अभियान की सच्चाई बयान कर रहे हैं। देवघर में एक जलेबी बेचने वाले के पास भी मतदाता सूची का फॉर्म पहुंच गया।”
“महागठबंधन नेताओं का भी पुनरीक्षण नहीं हुआ”
तेजस्वी ने बताया कि खुद महागठबंधन के कई वरिष्ठ नेताओं का भी अब तक पुनरीक्षण नहीं हुआ है। उन्होंने निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद अब तक कोई संशोधित अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
“फर्जी अपलोडिंग और जबरन हस्ताक्षर का आरोप”
राजद नेता ने आरोप लगाया कि फॉर्म अपलोड करने के लिए BLO और ERO पर 50% से अधिक लक्ष्य का दबाव बनाया जा रहा है, जिसके चलते जमीन पर बिना मतदाताओं की जानकारी या सहमति के फर्जी हस्ताक्षर या अंगूठा लगाकर फॉर्म अपलोड किए जा रहे हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के BLA (Booth Level Agent) को कई जिलों में सूचित ही नहीं किया गया और उन्हें प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से वंचित रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या BLA को वास्तविक निरीक्षण की भूमिका दी गई या सिर्फ उपस्थिति दर्ज की गई।
तेजस्वी यादव ने कहा “चुनाव आयोग ने 80% फॉर्म अपलोड होने की बात कही है, लेकिन यह नहीं बताया कि कितने फॉर्म वैध तरीके से, दस्तावेजों की जांच के बाद और मतदाता की सहमति से अपलोड हुए हैं। ये आंकड़े सिर्फ अपलोडिंग की संख्या दिखाते हैं, न कि उनकी प्रमाणिकता।” तेजस्वी यादव के इन गंभीर आरोपों पर अब तक भारत निर्वाचन आयोग की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, आयोग द्वारा पूर्व में यह दावा किया गया था कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।