चुनाव आयोग (ECI) ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बिहार के बाद अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) शुरू करने का निर्णय लिया है। इस कदम का मकसद मतदाता सूचियों से अवैध और डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाकर चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाना है।
क्या है SIR और क्यों है यह जरूरी?
- SIR एक विस्तृत प्रक्रिया है, जिसमें मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा की जाती है।
- इसका उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों, फर्जी मतदाताओं और डुप्लीकेट एंट्रीज को चिन्हित करना है।
- बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
क्या कहता है डेटा?
- अधिकांश राज्यों ने 2002 से 2004 के बीच मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया था।
- दिल्ली में आखिरी SIR 2008 में हुआ था, जबकि उत्तराखंड में 2006 में यह प्रक्रिया पूरी हुई थी।
- चुनाव आयोग ने अब इन पुरानी सूचियों को आधार तिथि (Base Year) मानते हुए नई समीक्षा शुरू करने का फैसला किया है।
विवाद क्यों हो रहा है?
- कुछ विपक्षी दलों और संगठनों ने इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
- उनका आरोप है कि SIR के नाम पर वास्तविक मतदाताओं को भी सूची से हटाया जा सकता है, जिससे उनके मताधिकार का हनन होगा।
- 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, जिसके बाद चुनाव आयोग अंतिम फैसला लेगा।
क्या होगा असर?
- अगर यह प्रक्रिया सफल रही, तो 2024 लोकसभा चुनाव और आने वाले राज्य चुनावों में मतदान प्रक्रिया अधिक साफ-सुथरी होगी।
- बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी, खासकर असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में।