बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। इस बार सुर्ख़ियों में हैं राजद से निष्कासित नेता तेज प्रताप यादव, जिनका एक बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में ज़बरदस्त बहस का कारण बन गया है। पटना में आयोजित एक संवाद के दौरान तेज प्रताप यादव ने कहा — “हम कहीं सुरक्षित नहीं हैं। कोई भी बम फेंक सकता है, गोली चला सकता है। जब नेता सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी की क्या हालत होगी?”
तेज प्रताप ने बताया कि वे जब जनता दरबार लगाते हैं, तो उन्हें खुद पर हमले का डर बना रहता है। उन्होंने साफ कहा कि पटना जैसे वीआईपी इलाकों में खुलेआम अपराध हो रहे हैं। उनके अनुसार, इन इलाकों में अक्सर गोली के खोखे मिलते हैं और पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद अपराधी बेखौफ हैं।
तेज प्रताप यादव के इस बयान ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो पूरी तरह से शिथिल हो चुके हैं। सरकार उनके नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि ये सरकार गिरने वाली है। चुनाव के बाद इसका अंत तय है।
तेज प्रताप ने यह भी कहा कि अपराध का मूल कारण बेरोजगारी है। यदि युवाओं को रोजगार दिया जाए, तो अपराध अपने आप कम हो सकता है। लेकिन मौजूदा सरकार की नीतियों में न तो स्पष्टता है, न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति। इस कारण न केवल राज्य के नागरिक भय में जी रहे हैं, बल्कि बाहरी पर्यटक भी बिहार आने से कतराते हैं।
उनके मुताबिक लोग कहते हैं कि बिहार में गोली चलती है, हमला हो जाता है। कोई क्यों रिस्क लेगा यहाँ आकर? यह बयान बिहार की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभावित करने वाला है। एक नेता का खुद को असुरक्षित बताना, प्रशासन के इकबाल पर सीधा हमला है।






















