Bihar Politics: बिहार के नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा पर नकली दवा कारोबार से जुड़े आरोपों को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच जंग तेज हो गई है। भाजपा की प्रदेश इकाई ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में इन सभी आरोपों को “झूठा और राजनीतिक प्रेरित” बताते हुए विपक्षी नेताओं को मानहानि नोटिस भेजने की घोषणा की।
मामला 2012 का है जब राजस्थान के राजसमंद में एक दवा निरीक्षक ने सिप्रोलिन-500 टैबलेट की गुणवत्ता को लेकर शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, भाजपा का दावा है कि इस मामले में दवा “नकली” नहीं बल्कि “अमानक” पाई गई थी। जून 2025 में राजसमंद की अदालत ने इस मामले में जीवेश मिश्रा सहित नौ आरोपियों को दोषी ठहराया, लेकिन उन्हें अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत राहत दी।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने कहा कि “विपक्ष ने जानबूझकर ‘अमानक’ और ‘नकली’ दवा के बीच भ्रम फैलाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह मामला जेल जाने लायक नहीं था, फिर भी कांग्रेस के नेता झूठे आरोप लगा रहे हैं।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेश दीक्षित ने तकनीकी पक्ष रखते हुए बताया कि जीवेश मिश्रा का किसी दवा निर्माण कंपनी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि “अल्टो हेल्थ केवल दवा वितरण करती है, और कानूनी तकनीकी आधार पर ही उन्हें आरोपी बनाया गया था।”
भाजपा ने पप्पू यादव, रोहिणी आचार्य, ऋषि मिश्रा, मशकूर अहमद उस्मानी और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम को 15 दिन के भीतर सार्वजनिक माफी मांगने का नोटिस भेजा है। भाजपा लीगल सेल के प्रदेश संयोजक विंध्याचल राय ने चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी भाजपा नेता पर बेबुनियाद आरोप लगाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।