Cimage College: क्या आप जानते हैं कि बिहार में एक ऐसा संस्थान है, जिसकी मान्यता को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किया गया, जिसके बाद संस्थान मामले को लेकर तत्कालीन कुलाधिपति न्यायालय पहुंचा। वहां भी तत्कालीन कुलाधिपति द्वारा मान्यता को रद्द कर दिया गया। मजे की बात यह है कि उक्त सभी तथ्यों को छुपाकर संस्थान द्वारा एक साथ 2-2 विश्वविद्यालय (पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय एवं आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय) से संबंद्धन ले लिया गया।
यकीन न हो, तो देखिए पटना उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर। और देखिये CWJC-9684/2017, CWJC-10373/2017, CWJC- 10409/ 2017, और CWJC-10338/2017 का ऑर्डर। जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा पटना के सिमेज कॉलेज, कैटेलिस्ट कॉलेज एवं स्वतंत्रतता सेनानी शंकरलाल अग्रवाल कॉलेज की मान्यता को रद्द करने सम्बन्धी आदेश पारित किया। यही नहीं, तत्कालीन कुलाधिपति महोदय द्वारा पारित आदेश में इन कॉलेजों की मान्यता को रद्द करने सम्बन्धी आदेश पारित किया।
जब यह मामला पिछले वर्ष राजभवन पहुंचा, तो तत्कालीन राज्यपाल महोदय द्वारा कुलपति, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय एवं कुलपति, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय को पत्रांक 480 दिनांक 19-03-2024 के माध्यम से जांच का आदेश दिया गया। परन्तु उस जांच का क्या हुआ, यह आज तक पता नहीं।
इन सभी मामलों में कई प्रश्न उठते हैं :
1. किसी भी उच्च न्यायालय का आदेश स्वयं उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय द्वारा ही बदला जा सकता है। तो क्या पटना उच्च न्यायालय या माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सिमेज कॉलेज के उक्त आदेश में कोई राहत दी गयी ?
2. क्या माननीय कुलाधिपति न्यायालय द्वारा अपने मान्यता रद्द करने वाले ऑर्डर को निरस्त किया और किसी भी प्रकार का कोई राहत आदेश सिमेज कॉलेज या इसके सहयोगी संस्थान या इसके निदेशक नीरज अग्रवाल को जारी किया ?
3. बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम की किस धारा के अंतर्गत एक ही संस्थान को 2-2 विश्वविद्यालय से संबंद्धन मिलना क़ानूनी है ?
4. कुलाधिपति के उस पत्र का क्या परिणाम हुआ, जिसके अंतर्गत उपरोक्त विषय को जांच करने का आदेश दोनों विश्वविद्यालयों को राज भवन द्वारा दिया गया था ?




