Bihar Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री की शैली और उनके वक्तव्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम का यह 53वां दौरा था, लेकिन इसका कोई खास भाव या दृष्टिकोण नजर नहीं आया। मनोज झा ने कहा, “हम इंतजार कर रहे थे कि प्रधानमंत्री क्या नया कहेंगे, लेकिन वो भावविहीन और दर्शनविहीन लगे। वो एक झूठ की पोटली लेकर आए, जो पूरी तरह खाली थी।” उन्होंने पीएम के मणिपुर दौरे को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि “अब तक उनके कदम मणिपुर नहीं पड़े हैं, जहां हालात वाकई चिंता का विषय हैं।”
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पीएम मोदी द्वारा बिहार को दी गई योजनाओं की घोषणाओं पर तंज कसते हुए झा ने कहा, “प्रधानमंत्री खुद कह रहे थे कि उन्होंने 7200 करोड़ की ‘सौगात’ दी। ये राजतंत्र की भाषा है। एक-एक पैसा जनता का है, गरीबों का है। ये हमारा और आपका हिस्सा है, कृपया इसे ‘सौगात’ कहना बंद करें।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पहले से चल रही योजनाओं पर बस नया रैपर चढ़ा रही है। चलती योजनाओं को नए पैकेज के रूप में पेश करना बंद करें।
बिहार बनाम गुजरात की तुलना
राजद नेता ने पीएम मोदी पर गुजरात को प्राथमिकता देने का आरोप लगाते हुए कहा, “जो योजनाएं और निवेश गुजरात के लिए हैं, वही बिहार के लिए क्यों नहीं? पूंजी गुजरात की मजबूती है, और बिहार की मजबूरी। बिहार को सिर्फ मजदूर बनाकर रखा गया है।” उन्होंने कहा, “अब समय है कि गुजरात से पूंजी आए और बिहार में निवेश हो। बिहार को अपने हक की जरूरत है, न कि बेईमान इरादों की।”
पीएम की शैली और भाषण पर तंज
मनोज झा ने प्रधानमंत्री की भाषण शैली पर भी निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री बिना टेलीप्रॉम्पटर के नहीं बोल सकते। वो देश के पीएम कम, बीजेपी के प्रचार मंत्री ज्यादा लगते हैं।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर पीएम वेश बदलकर बिहार आएं, तो उन्हें पता चलेगा कि यहां नौकरी कौन दे रहा है – तेजस्वी यादव या कोई और।”
कानून-व्यवस्था और मणिपुर का मुद्दा
राजद सांसद ने पीएम मोदी पर राज्य की कानून-व्यवस्था और मणिपुर की हिंसा पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब पीएम बिहार आते हैं, तो ‘जय भीम’ कहते हैं, लेकिन बाबा साहब अंबेडकर को आत्मसात नहीं करते। वे यहां हत्याओं पर चुप रहते हैं, जबकि मणिपुर में जारी अराजकता पर अब तक एक दौरा तक नहीं किया।” उन्होंने व्यंग्य में कहा, “मोतीहारी की चीनी मिल की चाय तो पी ली होगी, लेकिन यहां के मुद्दों पर बोलने की हिम्मत नहीं दिखाई। कानून व्यवस्था की बात करने वाले बताएं कि क्या मणिपुर ‘जंगलराज’ का जीवंत उदाहरण नहीं है?”