Chandan Mishra Murder: बिहार के बक्सर से शुरू हुआ गैंगवार का खूनी सिलसिला अब कोलकाता तक पहुंच चुका है, जहां चंदन मिश्रा हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता निशु खान छिपा हुआ है। यह वही निशु खान है जो समनपुरा में कभी समाजसेवक तो कभी जमीन माफिया के रूप में पहचाना जाता था, लेकिन चंदन मिश्रा की नृशंस हत्या ने उसकी असली पहचान उजागर कर दी है।
कैसे बुनी गई थी हत्या की साजिश?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कोई सामान्य गोलीबारी नहीं बल्कि पुरुलिया जेल में बंद गैंगस्टर शेरू सिंह द्वारा रची गई एक सुनियोजित साजिश थी। शेरू और चंदन कभी अपराध की दुनिया के जय-वीरू हुआ करते थे और 2009 में अनिल हत्या केस से लेकर 2011 में राजेंद्र केसरी व हैदर अली हत्याकांड तक में साथ थे। लेकिन तनिष्क ज्वेलरी लूट की रकम को लेकर हुए विवाद ने दोनों के रिश्तों में दरार डाल दी।
निशु खान का क्या था रोल?
निशु खान, जो तौसीफ बादशाह का रिश्तेदार भी है, इस पूरी साजिश में प्रमुख कड़ी साबित हुआ है। उसने न सिर्फ हत्यारों को शरण दी बल्कि पारस हॉस्पिटल के आसपास के इलाके की विस्तृत जानकारी भी मुहैया कराई। हत्या से तीन दिन पहले तौसीफ अपने चार शूटरों के साथ निशु खान के घर पहुंचा था, जहां इस हत्या की अंतिम रूपरेखा तैयार की गई।
हत्याकांड का वह भयावह दिन
17 जुलाई की सुबह सात बजे, पांचों हत्यारे पारस हॉस्पिटल में दाखिल हुए और कमरा नंबर 209 में चंदन मिश्रा को गोलियों से भून डाला। सीसीटीवी फुटेज में तौसीफ को स्पष्ट रूप से शूटरों को निर्देश देते हुए देखा जा सकता है। वारदात के बाद सभी आरोपी भूमिगत हो गए, जिसमें निशु खान भी शामिल था।
बिहार पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। जांच में पता चला है कि हत्या के लिए 10 लाख रुपये की सुपारी दी गई थी। निशु खान ने हत्यारों को लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान किया और शेरू सिंह ने जेल से ही इस पूरी साजिश को अंजाम तक पहुंचाया।