Upendra Kushwaha On Nitish Kumar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार का आज 44वां जन्मदिन है। जन्मदिन के मौके पर जेडीयू कार्यालय के बाहर उनके राजनीति में आने को लेकर पोस्टर लगाये गए हैं साथ ही कार्यकर्ताओं की तरह से निशांत के चुनाव लड़ने की मांग की गई है। वहीं निशांत ने पटना के महावीर मंदिर पहुंचकर रूद्राभिषेक किया। इस दौरान उन्होंने बिहार के लोगों से इस बार भी अपने पिता नीतीश कुमार को सीएम बनाने की अपील की। ऐसे में एक बार फिर से निशांत के सियासी एंट्री को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं।
Bihar Politics: विधानसभा चुनाव लड़ेंगे निशांत कुमार.. JDU कार्यालय के बाहर लग गए पोस्टर !
इसी बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार को बड़ी सलाह दे दी और जेडीयू के भविष्य को लेकर चिंता जताई है। उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और निशांत कुमार की तस्वीर अपने फेसबुक पेज पर शेयर करते हुए निशांत को जन्मदिन की बधाई दी है। साथ ही साथ उन्होंने जेडीयू के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई है। उन्होंने निशांत को जेडीयू के लिए उम्मीद की नई रोशनी बताया है और मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि अब सरकार और पार्टी दोनों का संचालन स्वयं उनके लिए भी उचित नहीं है। ऐसे में पार्टी की कमान निशांत कुमार को सौंप देना चाहिए।
कुशवाहा ने एक्स पर लिखा, “मीडिया/सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि आज बड़े भाई आदरणीय श्री Nitish Kumar जी के सुपुत्र निशांत का जन्मदिन है। खुशी के इस अवसर पर Janata Dal (United) की नई उम्मीद निशांत को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर उसे हमेशा स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रखें”।
उन्होंने लिखा, “इस अवसर पर आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी से अति विनम्र आग्रह है कि समय और परिस्थिति की नजाकत को समझते हुए इस सच को स्वीकार करने की कृपा करें कि अब सरकार और पार्टी दोनों का (साथ-साथ) संचालन स्वयं उनके लिए भी उचित नहीं है। सरकार चलाने का उनका लंबा अनुभव है जिसका लाभ राज्य को आगे भी मिलता रहे, यह फिलहाल राज्य हित में अतिआवश्यक है।
परन्तु पार्टी की जवाबदेही के हस्तांतरण (जो वक्त मेरी ही नहीं स्वयं उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं/नेताओं की राय में अब आ चुका है) के विषय पर समय रहते ठोस फैसला ले लें। यही उनके दल के हित में है। और इसमें विलंब दल के लिए अपूर्णीय नुकसान का कारण बन सकता है। शायद ऐसा नुकसान जिसकी भरपाई कभी हो भी नहीं पाये। (नोट – मैं जो कुछ कह रहा हूं, जदयू के नेता शायद मुख्यमंत्री जी से कह नहीं पाएंगे और कुछ लोग कह भी सकते हों, तो वैसे लोग वहां तक पहुंच ही नहीं पाते होंगे।)”