NDA Legislative Party Meeting: बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले बुलाई गई एनडीए विधायक दल की बैठक में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। बैठक में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने जेडीयू के एक मंत्री पर तीखा हमला बोला, जिससे बीजेपी के कई विधायक उनके समर्थन में खड़े हो गए। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुपचाप बैठे रहे, जबकि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी मूकदर्शक बने रहे।
विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया कि जेडीयू कोटे के एक मंत्री अपने विभाग की योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रमों में बीजेपी या एनडीए समर्थित विधायकों को आमंत्रित नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “गठबंधन धर्म निभाना सिर्फ बीजेपी की जिम्मेदारी नहीं है। कार्यक्रमों में बीजेपी विधायकों को न बुलाना समझ से परे है।”
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विजय सिन्हा की बातों का कई बीजेपी विधायकों ने समर्थन किया। उनका कहना था कि सरकारी आयोजनों में उन्हें नजरअंदाज़ किया जा रहा है और अधिकारियों का कहना है कि ऊपर से ही निर्देश आते हैं कि किसे बुलाना है।
विधायकों ने लखीसराय के सूर्यगढ़ा से एनडीए विधायक प्रहलाद यादव का मामला भी उठाया, जिन्हें जेडीयू ने अगला टिकट न देने की घोषणा कर दी है। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रहलाद यादव ने सरकार बनाने में भूमिका निभाई थी, फिर अब उन्हें दरकिनार क्यों किया जा रहा है?
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बैठक में ग्रामीण कार्य विभाग की योजनाओं के ग्लोबल टेंडर को लेकर भी विरोध हुआ। विधायकों ने आशंका जताई कि इससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका सीमित हो जाएगी, जो चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है। बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू समेत कई नेताओं ने इस मुद्दे पर नाराज़गी जताई। नल-जल योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी विधायकों ने अपनी चिंता जताई। उनका कहना था कि राज्यभर में योजना में भारी गड़बड़ी हुई है, जिससे जनता में रोष है।
पूरी बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुपचाप बैठे रहे। अंत में उन्होंने संबोधन तो दिया, लेकिन विधायकों की नाराजगी पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने केवल इतना कहा कि जनता को 2005 से पहले के बिहार की याद दिलाना चाहिए। सम्राट चौधरी ने भी शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।