Bihar Voter List Verification: बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन भी अहम सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट निर्देश दिए कि चुनाव आयोग मंगलवार तक यह बताए कि मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जिन्होंने फॉर्म भरकर अपनी जानकारी दी है, उनका नाम फिलहाल मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस जे. कांत ने चेतावनी दी कि वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित कर सकती है, जो एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। जस्टिस जे. बागची ने सवाल उठाया कि जब मतदाता सूची के नाम बोर्ड पर सार्वजनिक किए जा सकते हैं, तो उन्हें वेबसाइट पर क्यों नहीं डाला जा सकता।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह searchable बनाने पर गोपनीयता को लेकर आपत्ति जताई गई थी। इस पर जस्टिस कांत ने स्पष्ट कहा कि searchable लिस्ट देना बिल्कुल उचित है। उन्होंने यह भी सराहा कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के मोबाइल नंबर वेबसाइट पर डालने का निर्णय लिया गया है। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में सूची उपलब्ध कराने का सुझाव दिया, ताकि किसी भी संभावित धोखाधड़ी को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने मृत, प्रवासी और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सार्वजनिक करने का भी सुझाव दिया। जस्टिस कांत ने सवाल किया कि यदि 22 लाख लोगों को मृत पाया गया है, तो उनके नाम ब्लॉक और सब-डिवीजन स्तर पर क्यों नहीं साझा किए जाते। इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि राज्य सरकार की वेबसाइट पर यह संभव नहीं है, लेकिन राज्य चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध है।
अदालत ने चुनाव आयोग को इन सभी मुद्दों पर तीन दिन में जवाब देने का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार दोपहर 2 बजे तय की गई।






















