Rajballabh Yadav Bihar Rape Case: पटना हाईकोर्ट ने बिहार की राजनीति को वर्षों तक हिला देने वाले बहुचर्चित नाबालिग दुष्कर्म मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष पीड़िता के आरोप साबित करने में विफल रहा, इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है।
यह मामला फरवरी 2016 का है, जब नवादा से राजद विधायक रहे राजबल्लभ यादव पर एक नाबालिग लड़की ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था। आरोप लगते ही यादव को गिरफ्तार किया गया और उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। इस घटना ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया था, क्योंकि उस समय यादव का राजनीतिक कद काफी ऊंचा था।
मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने गवाहों की विश्वसनीयता और बयान में विरोधाभासों को उजागर करते हुए कहा कि यह पूरा प्रकरण एक राजनीतिक साजिश और झूठे आरोपों का नतीजा है। अदालत ने अपने फैसले में माना कि उपलब्ध साक्ष्य दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
6 फरवरी 2016 को एक नाबालिग लड़की को जन्मदिन की पार्टी के बहाने बोलेरो गाड़ी से गिरियक स्थित एक घर ले जाया गया। वहां कथित रूप से उसे शराब पिलाने की कोशिश की गई, मना करने पर उसके साथ मारपीट और दुष्कर्म किया गया। पीड़िता ने बयान दिया था कि घटना के बाद एक महिला को उसने आरोपी से तीस हजार रुपये लेते देखा था।
निचली अदालत ने राजबल्लभ यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले में उनके साथ सुलेखा देवी और राधा देवी को भी उम्रकैद और जुर्माने की सजा मिली थी, जबकि तीन अन्य आरोपियों को 10-10 साल की सजा दी गई थी।
बाद में इस आदेश को चुनौती देते हुए सभी दोषियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से 20 गवाह पेश हुए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से 15 गवाहों ने बयान दिए।
अब हाईकोर्ट ने मामले में गवाही और सबूतों के आधार पर निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।






















