बिहार की सियासत (Bihar Politics) में विपक्ष की “वोटर अधिकार यात्रा” लगातार सुर्खियों में है। इसी कड़ी में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बुधवार को मुजफ्फरपुर में जनसभा को संबोधित किया। सहनी ने अपने भाषण की शुरुआत शहीद जुब्बा सहनी को याद करते हुए की और कहा कि यह धरती उस वीर की है जिसने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
“सन ऑफ मल्लाह” के नाम से पहचान रखने वाले मुकेश सहनी ने कहा कि आजादी के बाद जब लोकतंत्र आया तो बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने ऐसा संविधान दिया जिसने दलितों, अति पिछड़ों और गरीबों को सम्मान और अधिकार के साथ जीने का हक दिया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राजतंत्र के दौर में दलितों के हाथ का पानी तक स्वीकार नहीं किया जाता था, लेकिन लोकतंत्र ने हालात बदले और एक मल्लाह का बेटा मंत्री तक बन सका।
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सहनी ने भाजपा और आरएसएस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आज यही लोकतंत्र खतरे में है। उनके मुताबिक, “भाजपा, आरएसएस और चुनाव आयोग मिलकर इस देश में वोट चोरी कर रहे हैं और सत्ता पर काबिज हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कहा कि 2014 में जनता से 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया गया था, लेकिन पूरा नहीं किया गया। इसके बावजूद मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं, और यह जनता के असली वोट से नहीं बल्कि “वोट चोरी” का नतीजा है।
सहनी ने जनता को चेताते हुए कहा कि लोकतंत्र में मालिक जनता होती है और पांच साल में नेताओं को बदलने का समय आता है। लेकिन अगर जनता का वोट सुरक्षित नहीं रहेगा तो लोकतंत्र का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उनकी पार्टी बेहतर विकल्प देगी और किसी भी कीमत पर वोट चोरी नहीं होने देगी। इसके लिए उन्होंने लोगों से एकजुट होकर संघर्ष में शामिल होने की अपील की।
मुकेश सहनी के इस बयान ने न सिर्फ “वोटर अधिकार यात्रा” को नई धार दी है बल्कि बिहार की राजनीति में लोकतंत्र और “बिहारी अस्मिता” को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, विपक्ष इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटा है, वहीं सत्तारूढ़ दल पर हमलों का स्वर और तेज होता जा रहा है।






















