सीतामढ़ी में जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के दौरान एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। बाजपट्टी हाई स्कूल मैदान में उमड़ी भीड़ के बीच प्रशांत किशोर ने जनता से सीधा संवाद करते हुए कहा कि बिहार की बदहाली के लिए वर्तमान और पूर्व दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अगली बार वोट जाति और धर्म के बजाय बच्चों की शिक्षा और रोजगार को ध्यान में रखकर दें।
प्रशांत किशोर ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लालू अपने 9वीं फेल बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, जबकि बिहार के पढ़े-लिखे युवा—मैट्रिक से लेकर एमए तक की डिग्री रखने के बावजूद—गुजरात और महाराष्ट्र की फैक्ट्रियों में 10 से 12 हजार रुपए की मजदूरी करने को मजबूर हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि लालू अपने बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हैं, लेकिन आम लोग अपने बच्चों की चिंता करना भूल गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार ने कभी जाति तो कभी मंदिर के नाम पर वोट दिया, लेकिन नतीजे में रोजगार और शिक्षा नहीं मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी बिहार के वोट से गुजरात में फैक्ट्रियां खड़ी करवा रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार जाति गणना में उलझे हुए हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लोग मोदी के 56 इंच सीने पर वोट कर रहे हैं, लेकिन अपने बच्चों के सिकुड़ते 15 इंच के सीने की चिंता नहीं कर रहे।
सभा में प्रशांत किशोर ने कई बड़े वादे भी किए। उन्होंने घोषणा की कि दिसंबर 2025 से 60 साल से ऊपर हर पुरुष और महिला को 2000 रुपए मासिक पेंशन दी जाएगी। इसके अलावा, जब तक सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर नहीं होती, तब तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों की पढ़ाई निजी स्कूलों में कराई जाएगी और उसकी फीस सरकार उठाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि छठ के बाद बिहार के 50 लाख युवाओं को राज्य में ही 10-12 हजार रुपए की नौकरी दी जाएगी, जिससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी दोनों बिहार आएंगे, लेकिन कोई यह नहीं बताएगा कि राज्य के युवाओं को रोजगार कब मिलेगा और पलायन कब बंद होगा। उन्होंने साफ कहा कि बिहार की जनता अब नेताओं की आपसी लड़ाई में नहीं उलझना चाहती, बल्कि उसे अपने बच्चों के भविष्य और रोज़गार से मतलब है।






















