Ramnagar Vidhansabha Chunav 2025: रामनगर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 02) वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास काफी रोचक रहा है। 1990 के दशक से अब तक यह सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए परंपरागत गढ़ के रूप में जानी जाती रही है। 1990 से 2020 तक के आठ चुनावों में सात बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। 2008 के परिसीमन के बाद इसे आरक्षित सीट बना दिया गया, लेकिन उसके बाद भी भाजपा की पकड़ यहां बरकरार रही।
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2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की भागीरथी देवी ने 75,423 वोट (39.57%) हासिल कर राजेश राम (राजद) को 15,796 वोटों से हराया। राजेश राम को 59,627 वोट (31.28%) मिले। इससे पहले 2015 में भी भागीरथी देवी ने कांग्रेस के पूर्णमासी राम को मात दी थी। तब उन्हें 82,166 वोट (48.05%) मिले थे और 17,988 वोटों से जीत हासिल की थी। 2010 में भी उन्होंने कांग्रेस के नरेश राम को हराया और 29,782 वोटों की बड़ी बढ़त पाई थी।
जातीय और सामाजिक समीकरण
रामनगर सीट पर जातीय समीकरण चुनावी राजनीति को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं। यहां सबसे ज्यादा संख्या राजपूत मतदाताओं की है, जो परंपरागत रूप से राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाते आए हैं। इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य, यादव और दलित मतदाता भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मुस्लिम आबादी भी संतुलन साधने का काम करती है। अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी 32.5 प्रतिशत से अधिक है, जिसमें थारू, आदिवासी, पासवान और दलित समुदाय शामिल हैं। इनमें थारू और आदिवासी वोट किसी भी दल की जीत या हार तय करने में निर्णायक माने जाते हैं।
मौजूदा हालात और मुद्दे
रामनगर विधानसभा क्षेत्र की जनता कई सालों से बुनियादी समस्याओं से जूझ रही है। सड़क और पुल-पुलिया का अभाव आज भी एक बड़ी चुनौती है। कुछ विकास कार्य हुए जरूर हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं साबित हुए। उच्च शिक्षा संस्थान की मांग लगातार उठती रही है, विशेषकर डिग्री कॉलेज की, जो अब तक पूरी नहीं हुई। इसके अलावा सोमेश्वर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग भी लंबे समय से हो रही है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस इलाके को पर्यटन केंद्र बनाने से रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं, लेकिन अब तक यह सपना अधूरा है। नदियों पर बांध निर्माण की मांग भी दशकों से जारी है, क्योंकि हर साल बाढ़ का पानी गांवों में घुसता है और कृषि भूमि का कटाव होता है।
2011 की जनगणना के अनुसार, रामनगर की कुल आबादी 2,49,102 है। इसमें से 80.6 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में और 19.4 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति के वोट यहां का सबसे बड़ा चुनावी फैक्टर हैं। यह वोट बैंक अगर किसी एक पार्टी के पक्ष में एकजुट हो जाए, तो नतीजा तय माना जाता है। लेकिन अक्सर इन मतों का विभाजन होता है, जो समीकरण बदल देता है।
रामनगर में भाजपा की लगातार पकड़ को देखते हुए यह सीट उसके लिए सुरक्षित मानी जाती रही है। लेकिन बदलते सामाजिक समीकरण, स्थानीय मुद्दों का असर और विपक्ष की रणनीति इस बार चुनावी तस्वीर को दिलचस्प बना सकती है। थारू और दलित वोट किस ओर झुकते हैं और क्या भाजपा अपनी परंपरागत पकड़ बनाए रख पाती है या विपक्ष यहां सेंध लगाने में सफल होता है, यह चुनावी नतीजों से ही तय होगा।






















