बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में बुधवार 3 सितंबर को दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ चुनावी रणनीति और सीट बंटवारे पर चर्चा करेंगे। यह बैठक एनडीए गठबंधन के लिए बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि बिहार की 243 सीटों पर किस दल का दावा मजबूत होगा और कौन सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, इसका खाका इसी बैठक में तय हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा, संगठन महामंत्री भिखूभाई दलसानिया और नागेंद्र नाथ शामिल होंगे। सभी नेता दिल्ली रवाना हो चुके हैं और उम्मीद है कि भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह बैठक सीट शेयरिंग के अलावा आगामी चुनावी रणनीति के कई पहलुओं को भी कवर करेगी।
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एनडीए में इस समय पांच घटक दल शामिल हैं—भाजपा, जनता दल यूनाइटेड (जदयू), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा)। सीट बंटवारे को लेकर इन दलों के बीच सहमति बनाना आसान नहीं होगा, क्योंकि हर दल अपने जनाधार और पिछली सीटों के आधार पर ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रहा है। बिहार की सियासत में सीटों का यह बंटवारा भविष्य की राजनीति को तय करने वाला साबित हो सकता है।
इस बैठक का महत्व इसलिए भी है क्योंकि एनडीए के भीतर कई बार सीट बंटवारे को लेकर तनातनी देखने को मिल चुकी है। खासकर चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के बीच तालमेल बनाना भाजपा और जदयू के लिए एक बड़ी चुनौती है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में सीटों पर समझौते के मूड में नजर नहीं आती। ऐसे में अमित शाह का नेतृत्व और उनकी रणनीतिक सूझबूझ एनडीए के घटक दलों को एकजुट रखने और चुनाव में मजबूत तालमेल बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
कहा जा रहा है कि यह बैठक बिहार के चुनावी समीकरणों का रोडमैप तैयार करने वाली साबित हो सकती है। भाजपा चाहती है कि गठबंधन में सीट शेयरिंग का फार्मूला जल्द तय हो जाए, ताकि प्रचार और उम्मीदवारों की घोषणा में देरी न हो। अब सबकी निगाहें अमित शाह और दिल्ली की बैठक पर टिकी हुई हैं, जहां से बिहार की राजनीति की दिशा और दशा का अंदाजा लगाया जा सकेगा।






















