नरकटियागंज विधानसभा सीट बिहार विधानसभा में क्रम संख्या में तीसरे नंबर की सीट है। नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है लेकिन यह वाल्मीकि नगर संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है। इस सीट का भी अस्तित्व ज्यादा पुराना नहीं है और यह 2008 में अस्तित्व में आई थी। 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद नरकटियागंज विधानसभा सीट वजूद में आई।
इस निर्वाचन क्षेत्र में एक बड़ी ग्रामीण आबादी है, जिसमें 87.84% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, और साक्षरता दर 65% है। यह सीट कई प्रसिद्ध हस्तियों का घर भी है, जिनमें मनोज वाजपेयी, एक भारतीय अभिनेता, और सतीश चंद्र दुबे, एक राजनेता शामिल हैं।
राजनीतिक इतिहास
इसका राजनीतिक इतिहास देखें तो पश्चिम चम्पारण जिलें में आने वाली इस विधानसभा सीट पर 4 बार चुनाव हो चुके हैं। 2010, 2015 और 2020 के चुनाव के अलावा 2014 में उपचुनाव भी शामिल हैं। 2010 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा के सतीश चंद्र दुबे ने 45,022 (38.06%) वोटों के साथ जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस के आलोक प्रसाद वर्मा को 20,228 वोटों के अंतर से हराया। वर्मा को कुल 24,794 (20.96%) मत मिलें। 2010 के चुनाव में कुल 59.37% मतदान हुआ।
वहीं, 2015 के चुनाव में नरकटियागंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विनय वर्मा ने 16,061 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। विनय को 37.25 फीसदी वोट हासिल हुए जबकि दूसरे नंबर पर रहीं भारतीय जनता पार्टी की रेनू देवी को 41,151 (26.80%) वोट मिले। जबकि निर्दलीय प्रयाशी रही रश्मि वर्मा को 39,200 (25.53%) मत मिलें। 2020 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा की रश्मि वर्मा ने 75,484 (45.85%) वोटों के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस के विनय वर्मा को 54,350 (33.02%) वोट मिलें। 2020 के चुनाव में कुल 61.99 फीसदी वोट पड़ें।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण देखें तो इस सीट पर कई जातियां जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. राजपूत, भूमिहार और कुर्मी वोटर सबसे बड़ी भूमिका में है. इसके अलावा ब्राह्मण और यादव मतदाता भी जीत-हार के लिए निर्णायक संख्या में हैं. पिछले चुनाव में इस सीट के मुख्य चुनावी मुद्दों की बात करें तो, नरकटियागंज को जिला बनाने की मांग, बाढ़ एवं कटाव की पीड़ा, खेतों में सिंचाई की असुविधा और सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार का मामला शामिल हैं.
2025 में मुकाबला और भी दिलचस्प
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ नरकटियागंज एक बार फिर निर्णायक सीट बनने को तैयार है। जातीय संतुलन, पुराने प्रदर्शन और अधूरी उम्मीदों के बीच इस बार कौन बाजी मारेगा — यह देखना दिलचस्प होगा। क्या इस बार नरकटियागंज की जनता बदलाव का फैसला करेगी या फिर एक बार फिर वही चेहरा लौटेगा? मैदान तैयार है, नजरें अब जनता पर टिकी हैं।






















