Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए खेमे में सीट बंटवारे पर खींचतान तेज हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि नीतीश कुमार को एनडीए में इस बार किस हैसियत से पेश किया जाएगा। 2020 में नीतीश कुमार को बिना किसी संदेह के सीएम फेस घोषित किया गया था, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं दिख रहा है।
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सूत्रों की मानें तो भाजपा और जेडीयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर महीनों से रस्साकशी चल रही है। 2020 में जेडीयू को 115 और भाजपा को 110 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार तस्वीर अलग है। भाजपा चाहती है कि जेडीयू 100 से 102 सीटों तक ही सीमित रहे, जबकि खुद भी उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़े। यानी नीतीश कुमार अगर “बड़े भाई” भी बने रहें, तो यह महज एक-दो सीटों के अंतर पर होगा।
इस बार समीकरण को और जटिल बना रहे हैं चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा। चिराग पासवान खुले तौर पर भाजपा के नजदीक दिखते हैं और लगभग 40 सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं मांझी 20 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं और कुशवाहा भी 10 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। सवाल यह है कि अगर भाजपा और जेडीयू को मिलाकर 200 सीटें मिल जाती हैं, तो बाकी 43 सीटों में इन सभी को कैसे एडजस्ट किया जाएगा।
2020 के नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा ने 74 सीटें जीतकर सबसे ज्यादा फायदा उठाया था, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी केवल 43 सीटों पर सिमट गई थी। चिराग पासवान के बगावती रुख ने भी जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। इस बार वे एनडीए के साथ तो हैं, लेकिन दबाव की राजनीति के जरिए अपने लिए ज्यादा सीटें सुनिश्चित करना चाहते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि 2020 में एनडीए और महागठबंधन के वोट प्रतिशत में केवल 0.03 फीसदी का अंतर था। यानी मुकाबला बेहद कांटे का रहा था। ऐसे में 2025 में सीटों का गणित अगर ठीक से न बैठा, तो इसका सीधा असर नतीजों पर पड़ सकता है।






















