Parihar Vidhansabha Seat बिहार की सियासत में परिहार विधानसभा सीट एक अहम भूमिका निभाती रही है। सीतामढ़ी जिले में आने वाली यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। 2010 से लेकर अब तक यहां भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है। 10 साल से अधिक समय से गायत्री देवी इस सीट पर बीजेपी की पहचान बनी हुई हैं। इससे पहले 2010 में रामनरेश यादव ने भाजपा की ओर से जीत दर्ज की थी। लगातार जीतों से साफ है कि भाजपा ने यहां मजबूत पकड़ बना ली है, जबकि राजद को लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा।
चुनावी इतिहास
परिहार विधानसभा का चुनावी इतिहास काफी रोचक है। पहली बार अस्तित्व में आने के बाद 2010 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामनरेश यादव ने आरजेडी के दिग्गज नेता रामचंद्र पूर्वे को हराकर जीत का परचम लहराया था। 2015 में गायत्री देवी ने जीत दोहराई और 2020 में भी उन्होंने कड़ी टक्कर के बावजूद विजय हासिल की। खास बात यह रही कि हर बार आरजेडी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी लेकिन हार का सिलसिला नहीं थमा।
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2020 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर देखें तो गायत्री देवी को 73,420 (42.52%) वोट मिले थे, जबकि राजद उम्मीदवार ऋतू कुमार को 71,851 (41.61%) वोटों पर संतोष करना पड़ा। महज चार हजार से अधिक वोटों के अंतर से भाजपा ने लगातार दूसरी बार यहां अपनी सीट बचाई। वहीं रालोसपा के अमजद हुसैन अनवर तीसरे स्थान पर रहे। इससे पहले 2015 में गायत्री देवी ने प्रचंड जीत दर्ज की थी और इस तरह भाजपा ने सीट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी।
जातीय समीकरण
अगर जातीय समीकरण की बात करें तो परिहार सीट यादव और मुस्लिम वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती है। यहां यादवों की सबसे बड़ी आबादी है, वहीं मुस्लिम मतदाता भी 25% से अधिक हैं। यही समीकरण चुनाव को त्रिकोणीय बना देता है क्योंकि भाजपा यादवों को साधने की कोशिश करती है, जबकि राजद मुस्लिम-यादव समीकरण पर दांव लगाती रही है। इसके अलावा ब्राह्मण और अन्य ऊपरी जातियों का भी असर यहां देखने को मिलता है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र में एससी मतदाता लगभग 11% और एसटी मतदाता करीब 0.13% हैं।
2025 में दिलचस्प मुकाबला
सीतामढ़ी जिले की राजनीति में परिहार के साथ-साथ रीगा, बेलसंड, बथनाहा, सुरसंड, बाजपट्टी और रुन्नीसैदपुर जैसी विधानसभाएं भी अहम मानी जाती हैं। लेकिन परिहार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां का मुकाबला लगभग हर बार भाजपा और राजद के बीच सीधा रहा है। भाजपा ने लगातार अपनी जीत दर्ज कर यह साबित किया है कि उसने यादव बहुल इस क्षेत्र में भी एक स्थायी आधार तैयार कर लिया है। हालांकि मुस्लिम वोटों के बिखराव का फायदा भी उसे मिलता रहा है। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजद अपने गढ़ को फिर से मजबूत कर पाएगा या भाजपा अपनी जीत की हैट्रिक को आगे बढ़ाएगी।






















