बिहार के औरंगाबाद में गुरुवार शाम आयोजित एक डिबेट शो ने अचानक राजनीतिक तनाव का रूप ले लिया। निजी मीडिया हाउस द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह समेत कई दलों के नेता मौजूद थे। मंच पर नेता जनता और एंकर के सवालों का जवाब दे रहे थे, तभी माहौल अचानक बिगड़ गया और देखते ही देखते बहस तीखी नोकझोंक और फिर समर्थकों की भिड़ंत में बदल गई।
बिहार कांग्रेस का AI वीडियो पर भड़की भाजपा.. फिर से पीएम मोदी की मां का अपमान
कार्यक्रम के दौरान जब जनता ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया तो भाजपा के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने कोई काम नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में जो भी विकास कार्य हो रहे हैं, वे उनकी सरकार की देन हैं। इस बयान पर कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह भड़क उठे। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि ऐसी बातें करना अनुचित है, क्योंकि सुशील सिंह के पिता स्वर्गीय रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू भी दो बार कांग्रेस से विधायक रहे थे। विधायक ने सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि उन्होंने भी कोई काम नहीं किया और आप उनके पाप की गठरी ढो रहे हैं?

इसके बाद पूर्व सांसद अपने पिता के कार्यों की सूची गिनाने लगे। इस पर विधायक ने दो टूक कहा कि आपने अपने और अपने पिता के काम गिना दिए, लेकिन मेरे द्वारा किए गए कामों को भी स्वीकार कीजिए। कांग्रेस विधायक ने जोर देकर कहा कि जनता के बीच उनके योगदान का भी क्रेडिट मिलना चाहिए। इसी बात पर माहौल गरम हो गया और पूर्व सांसद तल्ख लहजे में बोल पड़े—“बाप-दादा पर मत आइए, कुछ भी हो जाएगा।” यही वह क्षण था जिसने पूरे कार्यक्रम को विवादास्पद बना दिया।
देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन.. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
स्थिति और बिगड़ने से पहले जदयू जिलाध्यक्ष और रफीगंज के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह ने बीच-बचाव किया। उन्होंने कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह को शांत कराया और दोनों नेताओं को पीछे हटने पर मजबूर किया। हालांकि नेताओं के बीच तो मामला थम गया लेकिन उनके समर्थकों ने मोर्चा संभाल लिया।
देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन.. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
कार्यक्रम स्थल पर मौजूद दोनों नेताओं के समर्थक सीधे मंच के सामने पहुंच गए और एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। देखते ही देखते धक्का-मुक्की और खींचतान की नौबत आ गई। हालांकि समझदार कार्यकर्ताओं ने हालात को काबू में कर लिया, लेकिन स्थिति किसी भी वक्त हिंसक रूप ले सकती थी।






















