पूर्णिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीमांचल दौरे से ठीक एक रात पहले बिहार की सियासत अचानक गरमा गई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार रात पूर्णिया जीएमसीएच (सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने मरीजों से बातचीत की, अस्पताल की जर्जर व्यवस्था देखी और सोशल मीडिया टीम के जरिए इसका वीडियो भी रिकॉर्ड कराया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि “एनडीए सरकार के अमंगलकारी स्वास्थ्य मंत्री” पर लानत है। उनके अनुसार, एनडीए सरकार ने हजारों-करोड़ों खर्च कर महंगी बिल्डिंग तो बनवाई, लेकिन डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और टेक्निशियनों की नियुक्ति नहीं की। यही कारण है कि अस्पतालों में उपकरण धूल खा रहे हैं और मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। तेजस्वी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, “यह बदहाली किसी जिला अस्पताल या पीएचसी की नहीं बल्कि एक तथाकथित मेडिकल कॉलेज की है। यह 20 वर्षों की एनडीए सरकार की नाकामी का सबूत है।”

साफ है कि पीएम मोदी के दौरे से पहले तेजस्वी यादव ने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सीधे तौर पर स्वास्थ्य व्यवस्था को सियासी हथियार बनाया है। जहां मोदी सीमांचल के 24 विधानसभा क्षेत्रों को साधने के लिए विकास की बात करेंगे, वहीं तेजस्वी सरकार की असफलताओं को जनता के सामने रखने में जुटे हैं। तेजस्वी ने कहा कि भ्रष्टाचार ही एनडीए सरकार का असली चेहरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कमीशनखोरी के लिए सरकार महंगे उपकरण तो खरीद लेती है लेकिन उन्हें चलाने के लिए टेक्निशियन की भर्ती नहीं करती।
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तेजस्वी का यह हमला पीएम मोदी की सभा से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश देता है। विपक्ष जनता को यह समझाना चाहता है कि डबल इंजन की सरकार ने केवल घोषणाओं और जुमलों के सहारे बिहार को ठगा है। अब सवाल है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में इन मुद्दों पर कुछ कहेंगे या फिर तेजस्वी यादव के आरोपों को नजरअंदाज कर सीमांचल की जनता को “विकास का नया सपना” दिखाएंगे।





















