बिहार की राजनीति में सहरसा जिले की महिषी विधानसभा सीट Mahishi Vidhansabha (संख्या 77) हमेशा से एक खास पहचान रखती रही है। यह सीट न सिर्फ स्थानीय बल्कि प्रदेश स्तर पर भी राजनीतिक समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाती रही है। यहां के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि महिषी कभी कांग्रेस, तो कभी जनता दल और फिर आरजेडी व जेडीयू के बीच झूलती रही है। यही वजह है कि इसे बिहार की राजनीति का पल्स सेंटर कहा जाता है।
चुनावी इतिहास
1977 से शुरू हुई चुनावी जंग में कांग्रेस और जनता दल के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली थी। उस दौर में कांग्रेस के लहटन चौधरी ने लंबे समय तक अपना दबदबा बनाए रखा। हालांकि, 1990 में जनता दल के आनंद मोहन ने कांग्रेस के इस किले को ढहा दिया। इसके बाद राजनीति की तस्वीर बदली और महिषी विधानसभा डॉ. अब्दुल गफूर के नाम से जुड़ गई।
महिषी को “गफूर का गढ़” यूं ही नहीं कहा जाता। डॉ. गफूर ने 1995 से 2015 तक चार बार इस सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। वे लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के कद्दावर नेता रहे और इस क्षेत्र में यादव-मुस्लिम समीकरण को मजबूत कर जीत का रास्ता बनाया।
Saharsa Vidhan Sabha: कभी कांग्रेस का गढ़, अब भाजपा की मजबूत पकड़
लेकिन 2005 और 2020 के चुनावों में तस्वीर बदल गई। 2005 में जेडीयू के गुंजेश्वर साह ने आरजेडी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया। 2010 और 2015 में डॉ. गफूर की वापसी हुई, लेकिन 2020 में फिर से जेडीयू के गुंजेश्वर साह ने आरजेडी के गौतम कृष्ण को महज 1630 वोटों से मात देकर यह साबित कर दिया कि महिषी अब केवल गफूर के नाम पर नहीं, बल्कि बदलते जातीय और राजनीतिक समीकरणों पर भी निर्भर करता है।
2020 के चुनाव नतीजों ने यह भी दिखा दिया कि यहां का मुकाबला बेहद करीबी रहता है। जेडीयू को 37.83% वोट मिले, जबकि आरजेडी सिर्फ 36.9% वोट पाकर पीछे रह गई। लोजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी वोटों का बंटवारा कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो महिषी विधानसभा में यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। साथ ही कोइरी, कुर्मी, पासवान, राजपूत और ब्राह्मण समुदाय भी यहां के चुनावी गणित को प्रभावित करते हैं। कुल 2,72,352 मतदाताओं में पुरुष मतदाता 51.53% और महिला मतदाता 48.47% हैं।
अब सवाल यह है कि 2025 में महिषी की राजनीति किस करवट लेगी? क्या आरजेडी अपने गढ़ को फिर से हासिल कर पाएगी या जेडीयू लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास बनाएगी? महिषी विधानसभा का चुनाव इस बार भी पूरे बिहार की राजनीति में सुर्खियों में रहेगा।






















