Kanti Vidhansabha 2025: बिहार की राजनीति में मुजफ्फरपुर जिले की कांटी विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 95) हमेशा से चर्चा का केंद्र रही है। इस सीट का चुनावी इतिहास न सिर्फ दल-बदल और मजबूत दावेदारों के संघर्ष की कहानी कहता है बल्कि जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के इर्द-गिर्द भी घूमता है। यहां कभी अजीत कुमार का दबदबा रहा, तो कभी निर्दलीय प्रत्याशी ने सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया। वहीं, 2020 में यह सीट राजद के खाते में गई, जिसने कांटी की राजनीति को नई दिशा दी।
चुनावी इतिहास
अगर 1995 से अब तक के राजनीतिक सफर को देखा जाए तो अजीत कुमार इस सीट पर एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे। उन्होंने कई दलों के टिकट पर किस्मत आजमाई और जीत भी दर्ज की। फरवरी 2005 में एलजेपी से जीत के बाद, अक्टूबर 2005 और 2010 में जदयू की टिकट पर लगातार कामयाबी हासिल की। 2010 के चुनाव में अजीत कुमार ने राजद प्रत्याशी मोहम्मद इजराइल को करीब 8415 वोटों से हराया। उस समय अजीत कुमार को कुल 39648 वोट (32%) मिले, जबकि राजद उम्मीदवार को 31233 वोट (25%) हासिल हुए थे।
हालांकि 2015 का चुनाव कांटी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। एक तरफ अजीत कुमार हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) से चुनाव लड़ रहे थे, वहीं राजद ने मोहम्मद परवेज आलम को उतारा। लेकिन दोनों को चौंकाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार अशोक कुमार चौधरी ने बाजी मारी और 9275 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर ली। इस चुनाव ने साफ कर दिया कि कांटी के मतदाता हर बार पारंपरिक दलों के हिसाब से नहीं चलते, बल्कि स्थानीय समीकरण और प्रत्याशी की छवि भी बड़ा रोल निभाती है।
2020 के चुनाव में कांटी ने फिर करवट बदली और राजद के मोहम्मद इसरायल मंसूरी ने जीत दर्ज की। उन्होंने अजीत कुमार को 10314 वोटों के अंतर से हराया। इसरायल मंसूरी को 64458 वोट मिले, जबकि अजीत कुमार 54144 वोटों पर सिमट गए। इस जीत ने राजद को मजबूत आधार दिया और संकेत दिया कि कांटी विधानसभा अब जातीय समीकरणों के साथ-साथ दलों की रणनीति पर भी भारी पड़ सकती है।
जातीय समीकरण
कांटी विधानसभा सीट पर जातीय गणित बेहद अहम है। यहां मुस्लिम, भूमिहार और पासवान मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा यादव, कुर्मी, कोइरी और राजपूत समुदाय की संख्या भी अच्छी है, जो किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में हवा बदल सकते हैं।
- कुल मतदाता: 5.93 लाख
- पुरुष मतदाता: 1.57 लाख (53.6%)
- महिला मतदाता: 1.35 लाख (46.1%)
- ट्रांसजेंडर मतदाता: 8 (0.002%)
इतिहास गवाह है कि कांटी विधानसभा सीट पर कोई भी पार्टी स्थायी विजेता नहीं बन पाई है। मतदाता हर चुनाव में नए समीकरण बनाते हैं। यही वजह है कि 2025 का चुनाव यहां और भी रोचक हो सकता है। सवाल यह है कि क्या राजद अपनी पकड़ मजबूत रख पाएगी, या फिर अजीत कुमार जैसे अनुभवी उम्मीदवार और निर्दलीय प्रत्याशी समीकरण बदल देंगे?






















