कुचायकोट विधानसभा सीट Kuchaykot Vidhansabha 2025 (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 102) बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाती रही है। यह सीट गोपालगंज जिले में आती है और 2008 में परिसीमन के बाद दोबारा अस्तित्व में आई। इस सीट का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां समय-समय पर समीकरण बदलते रहे हैं। 1951 से 1972 तक कांग्रेस का मजबूत दबदबा देखने को मिला, जहां शिवकुमार पाठक से लेकर नगीना राय जैसे नेताओं ने कांग्रेस के टिकट पर लगातार जीत हासिल की। हालांकि, 1969 में नगीना राय जनता पार्टी से जीतकर समीकरण बदलते दिखे।
चुनावी इतिहास
समय बीतने के साथ कांग्रेस की पकड़ ढीली हुई और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस सीट पर अपनी जड़ें मजबूत कर लीं। जेडीयू नेता अमरेंद्र कुमार पांडेय ने इस सीट को लगातार मजबूती दी। 2010 और 2015 के चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने 2020 में भी बड़ा अंतर बनाते हुए जीत हासिल की। 2020 में अमरेंद्र पांडेय ने कांग्रेस उम्मीदवार काली प्रसाद पांडे को 20,630 वोटों से हराकर अपनी पकड़ और मजबूत की। उन्हें 74,198 वोट मिले जबकि आरएलएसपी की सुनीता देवी 33,454 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। कांग्रेस को मात्र 5,344 वोट मिले, जिससे साफ हुआ कि कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन खो चुकी है।
जातीय समीकरण
कुचायकोट की राजनीति को समझने के लिए जातीय समीकरण अहम हैं। यहां मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर लगभग 35% हैं, जो हर दल के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वहीं कोइरी समुदाय की भी उल्लेखनीय संख्या है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,31,974 है और पूरी तरह ग्रामीण है। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 12.4% और अनुसूचित जनजाति की 3.38% है। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार यहां 3,15,244 मतदाता दर्ज हैं।
Gopalganj Vidhansabha 2025: कभी कांग्रेस का गढ़, अब भाजपा का कब्जा
इस सीट का राजनीतिक महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि जहां कभी कांग्रेस लगातार सत्ता में रही, वहीं अब जेडीयू ने इसे अपनी परंपरागत सीट बना लिया है। हालांकि, जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे भविष्य के चुनाव में बड़ा असर डाल सकते हैं। यदि विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस और राजद, सही गठजोड़ कर पाते हैं तो जेडीयू की राह आसान नहीं होगी। लेकिन अब तक का इतिहास यह दिखाता है कि अमरेंद्र पांडेय और जेडीयू की पकड़ यहां अटूट बनी हुई है।






















