Bhore Vidhan Sabha 2025: गोपालगंज जिले की राजनीति में भोरे विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 103) हमेशा से एक अहम भूमिका निभाती रही है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इसी वजह से यहां का चुनावी परिदृश्य जातीय संतुलन, स्थानीय मुद्दों और राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर निर्भर करता है। कांग्रेस, भाजपा और जदयू जैसे बड़े दल यहां परंपरागत रूप से अपनी-अपनी पैठ बनाने की कोशिश करते रहे हैं।
इतिहास पर नजर डालें तो भोरे सीट पर कांग्रेस, भाजपा और आरजेडी ने बारी-बारी से जीत दर्ज की है। 1985 में कांग्रेस के अनिल कुमार ने यहां से जीत हासिल की थी। वे 2005 में दो बार आरजेडी की टिकट पर विजयी हुए और 2015 में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। दूसरी ओर भाजपा के इंद्रदेव मांझी ने भी इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाई थी। उन्होंने 1990 और 1995 में जनता दल और 2010 में भाजपा से चुनाव जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
Kuchaykot Vidhansabha 2025: जेडीयू बनाम कांग्रेसी परंपरा, जातीय समीकरण बना बड़ा फैक्टर
2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिला। जेडीयू के सुनील कुमार ने सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन के जितेंद्र पासवान को मात्र 462 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया। सुनील कुमार को 74,067 वोट मिले, जबकि पासवान को 73,605 वोट मिले। इस छोटे से अंतर ने यह साबित कर दिया कि यहां का चुनाव किस हद तक टक्कर वाला होता है और हर वोट का महत्व है।
भोरे विधानसभा सीट का सामाजिक समीकरण भी बेहद अहम है। यहां रविदास और कोइरी समाज की आबादी 30% से ज्यादा है, जबकि यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अनुसूचित जाति की जनसंख्या लगभग 14% और अनुसूचित जनजाति की संख्या 3% से अधिक है। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार यहां 3.36 लाख से ज्यादा मतदाता पंजीकृत हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले मतदाता बहुमत में हैं, जो कुल आबादी का लगभग 95% हिस्सा हैं।
2025 के चुनाव में भोरे सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो सकता है। कांग्रेस अनिल कुमार जैसे पुराने खिलाड़ियों पर दांव लगा सकती है, जबकि जदयू और भाजपा अपने जातीय समीकरण और गठबंधन की ताकत पर भरोसा करेंगी। सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन भी पिछली बार के बेहद करीबी नतीजे को भुनाने की कोशिश करेगी। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि भोरे विधानसभा की लड़ाई न केवल दलों की रणनीतियों बल्कि जातीय और सामाजिक समीकरणों पर भी टिकी होगी।





















