Barharia Vidhan Sabha 2025: सिवान जिले की राजनीति में बड़हरिया विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा का विषय रही है। विधानसभा क्षेत्र संख्या 110, बड़हरिया, 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया और तब से यह सीट बिहार की राजनीति में नए समीकरणों का केंद्र बन चुकी है। बड़हरिया और पचरुखी प्रखंड को मिलाकर बनी यह सीट 1972 के बाद लंबे अरसे तक गायब रही थी और 2010 में फिर से राजनीतिक नक्शे पर लौटी।
चुनावी इतिहास
बड़हरिया का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां हर बार समीकरण और रणनीति बदलते रहे हैं। तीन बार कांग्रेस, दो-दो बार जेडीयू और सीपीआई, जबकि एक-एक बार जनसंघ और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई। 2010 में इस सीट पर पहली बार चुनाव होने के बाद जेडीयू नेता श्याम बहादुर सिंह ने लगातार दो बार जीत हासिल कर अपने प्रभाव का लोहा मनवाया। 2010 में उन्होंने राजद के मोहम्मद मोबिन को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया, जबकि 2015 में लोक जनशक्ति पार्टी के बच्चा पांडेय को मात देकर लगातार दूसरी जीत दर्ज की।
लेकिन 2020 में तस्वीर बदल गई। इस बार आरजेडी के बच्चा पांडेय ने वही सीट अपने नाम कर ली और जेडीयू के दिग्गज श्याम बहादुर सिंह को 3559 वोटों के अंतर से हराकर नया राजनीतिक संदेश दिया। बच्चा पांडेय को कुल 71,793 वोट मिले, जबकि श्याम बहादुर सिंह को 68,234 वोटों से संतोष करना पड़ा। यह नतीजा साफ करता है कि बड़हरिया में जातीय समीकरण और रणनीति दोनों चुनाव परिणामों को बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण मतदाताओं की मजबूत मौजूदगी है। कुल आबादी करीब 4.5 लाख है, जिसमें 100 फीसदी ग्रामीण हैं। अनुसूचित जाति के मतदाता 11.78 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.81 फीसदी हैं। मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं और अक्सर चुनावी पलड़ा बदल देते हैं। यही कारण है कि हर राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को चुनते समय इन वर्गों को साधने की कोशिश करता है।






















