Chhapra Vidhan Sabha : सारण जिले की छपरा विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 118) बिहार की राजनीति में बेहद खास मानी जाती है। यह वही इलाका है जिसने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर जैसी विभूतियों को जन्म दिया। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो छपरा विधानसभा को हमेशा से ही सुर्खियों में रहने वाली सीट कहा जाता है, क्योंकि इसे लालू प्रसाद यादव का गढ़ माना जाता है। लेकिन पिछले दो चुनावों में भाजपा ने यहां मजबूत पकड़ बना ली है और यह सवाल उठने लगा है कि क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में यह परंपरा बरकरार रहेगी या फिर समीकरण बदलेंगे।
चुनावी इतिहास
इतिहास पर नजर डालें तो अब तक यहां कुल 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें कांग्रेस, भाजपा, राजद, जदयू और निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिल चुकी है। 2010 में भाजपा के जनार्दन सिग्रीवाल विधायक बने लेकिन उनके लोकसभा पहुंचते ही 2014 में उपचुनाव हुए और आरजेडी ने वापसी की। इसके बाद 2015 और 2020 में भाजपा के डॉ. सी.एन. गुप्ता ने लगातार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि छपरा अब केवल ‘लालू फैक्टर’ पर निर्भर नहीं है। 2020 में डॉ. गुप्ता ने राजद के रणधीर कुमार सिंह को 6771 वोट से मात दी थी।
Madhaura Vidhansabha 2025: यादव-मुस्लिम समीकरण और राजनीतिक उठापटक ने बनाया ‘हॉट सीट’
जातीय गणित की बात करें तो यहां यादव और राजपूत मतदाता मिलकर लगभग 35% वोट बैंक बनाते हैं। मुस्लिम मतदाता करीब 10% हैं, जबकि ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं। अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 11% है। वहीं, शहरी और ग्रामीण संतुलन भी यहां चुनावी राजनीति में अहम होता है, क्योंकि कुल जनसंख्या का लगभग 63% हिस्सा शहरी है।
जातीय समीकरण
यानी छपरा विधानसभा का चुनाव केवल पार्टी या प्रत्याशी की लोकप्रियता पर नहीं बल्कि जातीय और सामाजिक समीकरणों पर भी टिका रहता है। यही वजह है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यहां की सियासत गरमा गई है। भाजपा और राजद दोनों ही पार्टियां इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही हैं। भाजपा जहां अपने विकास कार्यों और डॉ. सीएन गुप्ता की छवि पर भरोसा कर रही है, वहीं आरजेडी सामाजिक समीकरण और लालू यादव की विरासत को भुनाने में लगी है। आने वाले चुनाव में यहां का मुकाबला केवल भाजपा बनाम राजद नहीं होगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि छपरा विधानसभा का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में जाएगा।






















