Vaishali Vidhansabha Election 2025: वैशाली विधानसभा क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 125) बिहार की राजनीति में बेहद अहम सीट मानी जाती है। यह सीट वैशाली जिले के अंतर्गत आती है और यहां का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि पिछले दो दशकों से जनता दल यूनाइटेड (JDU) का एकतरफा दबदबा कायम है। 2000 के चुनाव में कांग्रेस की वीणा शाही ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद से यह सीट पूरी तरह से जेडीयू के खाते में जाती रही। यही कारण है कि इस क्षेत्र को जेडीयू का गढ़ कहा जाता है।
चुनावी इतिहास
साल 2010 के चुनाव में वृषण पटेल ने 60,950 वोट हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि आरजेडी की वीणा शाही 48,122 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। दिलचस्प बात यह है कि वृषण पटेल 2010, अक्टूबर 2005 और फरवरी 2005 में JDU उम्मीदवार के रूप में लगातार विजयी रहे। इससे पहले भी 1990 में जनता दल, 1985 में लोकदल और 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर वे जीत चुके थे। उनकी राजनीतिक पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।
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2015 का चुनाव इस सीट पर नया मोड़ लेकर आया। इस बार JDU ने राज किशोर सिंह को मैदान में उतारा और उन्होंने हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (HAM) के वृषिण पटेल को 31,061 वोटों से शिकस्त दी। गौरतलब है कि वृषिण पटेल, जो तीन बार JDU से विधायक रह चुके थे, इस बार HAM के टिकट पर उतरे थे लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।
2020 का चुनाव भी जेडीयू के लिए सफल रहा। सिद्धार्थ पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को 7,413 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। इस चुनाव में सिद्धार्थ पटेल को 69,780 वोट मिले, जबकि संजीव सिंह को 62,367 वोट और लोजपा के अजय कुमार कुशवाहा को 33,351 वोट हासिल हुए। यह नतीजा एक बार फिर साबित करता है कि वैशाली की जनता ने लगातार जेडीयू पर भरोसा जताया है।
जातीय समीकरण
जनसांख्यिकी की दृष्टि से देखा जाए तो वैशाली विधानसभा में करीब 4 लाख से अधिक जनसंख्या निवास करती है और यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 20.47% है, जो चुनावी नतीजों पर निर्णायक प्रभाव डालती है। इसके अलावा यादव, मुस्लिम और कुर्मी वोटर्स भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं। रविदास और पासवान समुदाय भी इस सीट पर सक्रिय और प्रभावशाली माने जाते हैं। यही कारण है कि जेडीयू ने पिछड़ी जातियों और दलित वोट बैंक को साधकर लगातार अपना दबदबा बनाए रखा है।
आगामी चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या विपक्ष जेडीयू के इस किले को भेद पाएगा, या फिर एक बार फिर से जेडीयू अपने परंपरागत समीकरणों के सहारे जीत दर्ज करेगी। इस सीट पर हर दल की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि वैशाली सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीतिक धारा को दिशा देने का काम करती है।






















