सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर में आयोजित एक मिलन कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार में एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने बिहार की राजनीति और गरीबों के हक पर बड़ा बयान दिया। मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी के पास अभी बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से केवल 4 सीटें हैं, जिसकी वजह से उनकी आवाज़ को ताक़त से सुना नहीं जाता। लेकिन यदि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी को 20 से अधिक सीटें मिलती हैं, तो वे गरीबों के लिए बनाई गई अधूरी योजनाओं को फिर से लागू करेंगे।
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मांझी ने याद दिलाया कि जब वे बिहार के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने भूमि सुधार विभाग को यह निर्देश दिया था कि राज्य की 16-17 लाख एकड़ सरकारी जमीन में से करीब 13 लाख एकड़ जमीन भूमिहीनों के बीच बांट दी जाए। इसके लिए कैंप लगाने की योजना भी बनी, लेकिन उनके पद छोड़ने के बाद यह पहल अधूरी रह गई। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने उस योजना पर आंशिक रूप से काम शुरू तो किया, लेकिन अभी तक यह पूर्ण रूप से लागू नहीं हो सका है।
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कार्यक्रम में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों की आवास योजनाओं पर भी तीखी टिप्पणी की। मांझी ने कहा कि इंदिरा आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तैयार नक्शे गरीबों के वास्तविक जीवन से मेल नहीं खाते। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर एक छोटे से घर के एक कमरे में मां-बाप, बेटे-बहू, बेटी-दामाद और बच्चों को कैसे रखा जा सकता है? क्या वे जानवर हैं? उन्होंने कहा कि गरीबों को कम से कम 5 डिसमिल जमीन पर मकान मिलना चाहिए, जिसमें दो कमरे, शौचालय और बिजली की सुविधा अनिवार्य रूप से हो।






















