बिहार का समस्तीपुर जिला, जो राज्य की राजनीति में हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, उसमें स्थित कल्याणपुर विधानसभा सीट (Kalaynapur Vidhan Sabha) की अहमियत और भी बढ़ गई है। खासकर, जब से यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हुई है, तब से इस विधानसभा की राजनीति में उथल-पुथल और भाग्यवर्धक बदलाव देखने को मिलते रहे हैं। कल्याणपुर विधानसभा सीट जो कि सीट संख्या 131 है, विशेष रूप से राज्य की सबसे VIP सीटों में शामिल मानी जाती है। इस सीट से महेश्वर हजारी, जो कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख नेता और नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी हैं, का कब्जा रहा है।
चुनावी इतिहास
कल्याणपुर विधानसभा का इतिहास काफी रोचक और विविधतापूर्ण है। इसकी स्थापना 1967 में हुई थी, और फिर 2008 में परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस सीट पर अब तक कुल 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें से JDU ने 5 बार जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 3 बार, और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 2 बार अपनी जीत दर्ज की।
महेश्वर हजारी की बात करें तो, वे 2015 और 2020 में लगातार इस सीट से विजयी रहे, और उनकी राजनीतिक पहचान राज्य की राजनीति में मजबूत हुई। हजारी, जो जेडीयू के कद्दावर नेता रहे हैं, ने इस सीट से 52,000 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। 2020 में उन्हें कुल 72,279 वोट मिले, जो कि 38.46 प्रतिशत मतों के बराबर थे। यही नहीं, उन्होंने 2015 में राम विलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज को हराया था, जो उस समय लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से थे।
जातीय समीकरण
इस क्षेत्र में मौर्य और कुशवाहा समाज के वोटरों की संख्या भी निर्णायक भूमिका निभाती है, जिनकी राजनीतिक हैसियत यहां के चुनाव परिणामों में अहम होती है। अनुसूचित जाति की आबादी करीब 20 प्रतिशत है, जो यहां की जीत-हार का तय करने वाला तत्व बनता है। इसके अलावा, मुस्लिम वर्ग का वोट प्रतिशत लगभग 10.60 प्रतिशत है। इस प्रकार, समाज के विभिन्न वर्गों के बीच प्रतिस्पर्धा और जितने वाले उम्मीदवार का जातीय प्रतिनिधित्व यहां के चुनावों में निर्णायक होता है।
कल्याणपुर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 335,714 है, जिनमें से 175,522 पुरुष और 160,181 महिलाएं हैं। यह क्षेत्र, जो मुख्य रूप से ग्रामीण है, अपनी चुनावी प्रक्रिया में कभी भी अचानक बदलाव देखने को मिल सकता है। अभी तक, जेडीयू की महेश्वर हजारी को यहां से टिकट मिलने की संभावना बनी हुई है, और यदि इस सीट पर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ, तो जेडीयू अपनी सीट को बरकरार रख सकती है।






















