Mohiuddinagar Vidhan Sabha 2025: समस्तीपुर जिले की गंगा किनारे बसी मोहिउद्दीननगर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 137) बिहार की राजनीति में बेहद अहम मानी जाती है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। अब तक 18 बार यहां चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस ने पांच, राजद ने चार, जनता दल ने दो, बीजेपी ने दो और अन्य दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों ने अलग-अलग मौकों पर जीत दर्ज की है।
चुनावी इतिहास
कांग्रेस यहां आखिरी बार 1985 में विजयी हुई थी। इसके बाद से इस सीट पर कांग्रेस का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया। वहीं भारतीय जनता पार्टी पहली बार 2010 में यहां विजयी बनी और 2020 में दूसरी बार जीत का स्वाद चखा। दूसरी ओर, आरजेडी ने 2005 और 2015 में अपनी पकड़ मजबूत दिखाई।
2010 का चुनाव इस सीट के लिए अहम मोड़ साबित हुआ, जब बीजेपी के राणा गंगेश्वर सिंह ने 51,756 वोट पाकर आरजेडी उम्मीदवार अजय कुमार बुलगानिन को शिकस्त दी। हालांकि, बुलगानिन का राजनीतिक सफर भी दिलचस्प रहा। वे कभी लोजपा से तो कभी राजद से चुनाव लड़ते रहे और 2005 में दो बार लगातार जीत भी दर्ज की थी।
Morwa Vidhansabha 2025: जातीय समीकरण और राजनीतिक उठापटक से दिलचस्प बनती तस्वीर
2015 में जब जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी, तब राजद की एज्जा यादव को उम्मीदवार बनाया गया और उन्होंने निर्दलीय राजेश कुमार सिंह को हराकर जीत हासिल की। लेकिन 2020 में समीकरण पूरी तरह उलट गए। बीजेपी प्रत्याशी राजेश कुमार सिंह ने 47.51% वोट पाकर राजद की एज्जा यादव को 15,114 मतों से हराया। वहीं जन अधिकार पार्टी (लो) से अजय कुमार बुलगानिन तीसरे स्थान पर खिसक गए।
जातीय समीकरण
इस सीट पर चुनावी गणित सिर्फ दलों की रणनीति से तय नहीं होता, बल्कि जातीय समीकरण यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव और राजपूत समुदाय यहां सबसे प्रभावशाली हैं। अनुमान है कि यादव मतदाता कुल वोटरों का लगभग 30% हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता भी 15% के आसपास हैं। यही वजह है कि यादव-मुस्लिम गठजोड़ ने लंबे समय तक आरजेडी को यहां बढ़त दिलाई। वहीं राजपूत समुदाय की लामबंदी ने बीजेपी को इस सीट पर पैर जमाने का मौका दिया।
मोहिउद्दीननगर विधानसभा उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है और हर चुनाव में यहां की लड़ाई दलों से ज्यादा जातीय समीकरण और स्थानीय नेतृत्व के इर्द-गिर्द घूमती रही है। अब 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही इस सीट पर फिर से सियासी समीकरण बनने-बिगड़ने शुरू हो गए हैं।






















