Teghra Vidhan Sabha Seat 2025: बेगूसराय जिले की तेघड़ा विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 143) बिहार की राजनीति में एक विशेष महत्व रखती है। सामान्य श्रेणी की यह विधानसभा सीट बेगूसराय संसदीय क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। 2008 के परिसीमन से पहले इसे बरौनी विधानसभा के नाम से जाना जाता था। तेघड़ा सीट पर अब तक छह विधानसभा चुनाव हुए हैं और हर चुनाव में विभिन्न दलों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, जिससे यह सीट बिहार के राजनीतिक अस्थिरता और विविधता का प्रतीक बन गई है।
ऐतिहासिक महत्व
तेघड़ा न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक महत्व रखती है। यह क्षेत्र राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर और प्रसिद्ध इतिहासकार राम शरण शर्मा की जन्मभूमि है। साथ ही, जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी इसी क्षेत्र से हैं। 1962 में चंद्र शेखर सिंह यहां से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचने वाले पहले वामपंथी सदस्य बने थे। इसके बाद से 2010 तक यह सीट वामदलों का गढ़ मानी जाती रही। 1951 से 1962 तक के चुनाव और 2010 के बाद के चुनावों के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि यहां की मतदाता संख्या और वोटिंग प्रतिशत समय के साथ बढ़ते रहे। 2010 में यहां 55.4% वोटिंग दर्ज की गई।
Cheria Bariarpur Vidhan Sabha 2025: कांग्रेस-सीपीआई से भाजपा तक का राजनीतिक सफर
2010 के चुनाव में पहली बार वामपंथ के गढ़ में भाजपा की सेंधमारी हुई। भाजपा के लखन कुमार सिंह ने 38,694 (31.4%) वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि सीपीआई के राम रतन सिंह दूसरे स्थान पर रहे। 2015 में स्थिति बदल गई, जब महागठबंधन के तहत कांग्रेस, RJD और JDU ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और RJD के विरेंद्र कुमार महतो ने 68,975 (43.2%) वोटों के साथ जीत दर्ज की। इस चुनाव में भाजपा और सीपीआई के उम्मीदवार एक ही जाति के होने के कारण वोट बंट गया और दोनों को हार का सामना करना पड़ा।
Cheria Bariarpur Vidhan Sabha 2025: जातीय समीकरण और राजनीतिक संघर्ष का गढ़
2020 के विधानसभा चुनाव में सीट का समीकरण फिर से बदल गया। इस बार सीपीआई के राम रतन सिंह ने जनता दल यूनाइटेड के बिरेंद्र कुमार को 47,979 वोटों के अंतर से हराया। राम रतन सिंह को कुल 85,229 (49.8%) वोट मिले, जबकि जेडीयू के बिरेंद्र कुमार को 37,250 (21.77%) और एलजेपी के ललन कुमार को 29,936 (17.49%) वोट मिले। यह परिणाम दर्शाता है कि तेघड़ा विधानसभा सीट पर वोटरों की बदलती प्राथमिकताएं और जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
जातीय समीकरण
जातीय दृष्टि से तेघड़ा में मुस्लिम और यादव वोटरों का दबदबा है, जबकि भूमिहार और पासवान मतदाता निर्णायक साबित होते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इस सीट की कुल आबादी 4,15,161 है, जिसमें ग्रामीण और शहरी आबादी लगभग बराबर है। अनुसूचित जाति का अनुपात 10.78% और अनुसूचित जनजाति का 0.12% है। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार यहाँ कुल 2,80,340 पंजीकृत मतदाता हैं।
Hasanpur Vidhan Sabha 2025: यादव बाहुल्य सीट पर किसका होगा दबदबा?
2025 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से तेघड़ा सीट पर राजनीतिक दलों के लिए रणनीति बनाना चुनौतीपूर्ण रहेगा। जातीय समीकरण, गठबंधन की मजबूती और प्रत्याशियों की व्यक्तिगत पकड़ ही तय करेगी कि इस सीट पर किसका पलड़ा भारी होता है। पिछले चुनावों के आंकड़े और राजनीतिक इतिहास बताते हैं कि यह सीट बिहार में राजनीतिक हलचल का केंद्र बनी रहती है।






















