Sahebpur Kamal Vidhan Sabha 2025: साहेबपुर कमाल विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 145) बिहार की चुनिंदा सीटों में गिनी जाती। यह सीट बेगूसराय जिले के राजनीतिक मानचित्र पर बेहद अहम मानी जाती है। परिसीमन आयोग की 2008 की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आई यह सीट पहले बलिया के नाम से जानी जाती थी। फिलहाल यहां पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कब्जा है और यह पार्टी लगातार इस सीट पर अपने मजबूत यादव-मुस्लिम समीकरण के दम पर जीत दर्ज करती रही है।
चुनावी इतिहास
2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार परवीन अमानुल्लाह ने इस सीट पर जीत हासिल कर नीतीश कुमार की पकड़ को मजबूत किया था। उस चुनाव में राजद प्रत्याशी श्रीनारायण यादव दूसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन 2014 के उपचुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में श्रीनारायण यादव ने राजद को शानदार जीत दिलाई। 2015 में उन्होंने 57 प्रतिशत से अधिक वोट पाकर एलजेपी के मोहम्मद असलम को बड़ी मात दी थी।
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2020 का चुनाव इस सीट के लिए एक नया मोड़ लेकर आया। राजद से सत्तानंद सम्बुद्ध ने जेडीयू प्रत्याशी शशिकांत कुमार शशि को 14,225 वोटों के अंतर से हराया। इस चुनाव में राजद ने 41.45% वोट हासिल किए जबकि जेडीयू को 32.36% और एलजेपी को 14.61% वोट मिले। इस नतीजे ने साफ कर दिया कि मुस्लिम और यादव वोटरों का एकजुट होना राजद के लिए जीत की कुंजी है।
जातीय समीकरण
साहेबपुर कमाल विधानसभा की सामाजिक संरचना चुनावी समीकरण तय करने में निर्णायक भूमिका निभाती है। यहां मुस्लिम और यादव मतदाता सबसे प्रभावी वर्ग हैं। इनकी साझा संख्या ही किसी भी दल के लिए जीत का रास्ता खोलती है। हालांकि भूमिहार वोटर भी इस सीट पर अहम भूमिका निभाते हैं और कई बार चुनावी तस्वीर बदलने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि जेडीयू के जमशेद असरफ और परवीन अमानुल्लाह जैसे अल्पसंख्यक उम्मीदवार यहां से विजयी रहे हैं।
Matihani Vidhan Sabha 2025: बेगूसराय की प्रमुख सीट पर कौन मारेगा बाज़ी?
2025 के चुनावों के लिए यह सीट फिर से सुर्खियों में है। राजद अपने पारंपरिक वोट बैंक के भरोसे चुनावी मैदान में उतरेगी, जबकि जेडीयू-बीजेपी गठबंधन इस समीकरण को तोड़ने की कोशिश करेगा। सवाल यह है कि क्या साहेबपुर कमाल एक बार फिर राजद के गढ़ के रूप में कायम रहेगा या फिर राजनीतिक हवा इस बार कोई नया मोड़ लेगी।






















