Owaisi Seemanchal Nyay Yatra: बिहार की राजनीति इन दिनों सीमांचल के रास्ते नए मोड़ ले रही है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की “सीमांचल न्याय यात्रा” के दूसरे दिन किशनगंज में दिया गया भाषण राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर गया है। उन्होंने न केवल तेजस्वी यादव पर तंज कसा, बल्कि केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उनका यह तेवर साफ इशारा करता है कि सीमांचल की सियासत अब महज वोट बैंक की नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान और पहचान की लड़ाई बनती जा रही है।
किशनगंज की जनसभा में ओवैसी ने सबसे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव को पत्र विवाद को लेकर घेरा। उन्होंने कहा कि “अगर मैंने आपके पिता (लालू यादव) से जाकर आशीर्वाद लिया तो क्या बेटा ये कह सकता है कि उसे पता ही नहीं चला?” ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने गठबंधन की पेशकश को लेकर खत भेजा था, जिसे तेजस्वी ने सार्वजनिक रूप से नकार दिया। इसके बाद ओवैसी ने सीमांचली अंदाज में ढोल बजवाकर “खत” तेजस्वी के घर भेजा, जो इस तकरार को प्रतीकात्मक और सियासी रंग देने वाला कदम साबित हुआ।
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ओवैसी का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं था, बल्कि सीमांचल में खुद को मज़बूत और आत्मनिर्भर राजनीतिक विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश भी थी। AIMIM प्रमुख ने स्पष्ट संदेश दिया कि अगर उनके नेता अख्तरुल ईमान ने गठबंधन के लिए हाथ बढ़ाया था, तो इसे कमजोरी समझने की भूल न की जाए। “वही हाथ गिरेबान तक भी पहुंच सकते हैं,”— यह चेतावनी सीधे राजद को थी।
लेकिन ओवैसी का हमला केवल तेजस्वी तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरते हुए चुनाव आयोग द्वारा 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “65 लाख नाम हटाए गए, लेकिन क्या एक भी घुसपैठिए का नाम मिला? क्या यह सीमांचल की जनता की बेइज्जती नहीं है?” ओवैसी ने केंद्र को चेतावनी दी कि सीमांचल के लोग अब वोट के जरिए जवाब देंगे और साबित करेंगे कि वे भारत के असली नागरिक हैं। उन्होंने यह भी कहा, “सीमांचल इंसानों की बस्ती है, यहां की पहचान मिटाने की कोशिश न की जाए।”






















