Badh Vidhan Sabha 2025: पटना जिले की अहम विधानसभा सीट बाढ़ (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 179) बिहार की राजनीति में हमेशा से केंद्र बिंदु रही है। यह सीट मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और शुरुआती दौर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती थी। 1951 में अस्तित्व में आई इस सीट पर कांग्रेस ने शुरुआती तीन चुनाव लगातार जीते, लेकिन 1990 के दशक के बाद से यहां जनता दल और फिर जदयू का दबदबा देखने को मिला। नीतीश कुमार की राजनीति से जुड़े कई चेहरे यहां से विधायक बने, लेकिन पिछले एक दशक से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
चुनावी इतिहास
चार बार के विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह (ज्ञानू) इस सीट पर लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले ज्ञानू ने 2015 में राजनीतिक समीकरण बदलते ही भाजपा का दामन थाम लिया और उसी साल जदयू के मनोज कुमार को 8,359 वोटों से शिकस्त दी। इसके बाद 2020 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सत्येंद्र बहादुर को 10,240 वोटों से हराकर अपनी स्थिति और पुख्ता कर ली। 2020 के चुनाव में उन्हें 32.94% वोट मिले जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 26.01% वोट ही मिल पाए।
जातीय समीकरण
बाढ़ विधानसभा की सियासत में जातीय समीकरण सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। यहां भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है और यही वजह है कि ज्यादातर दल इस समुदाय से ही उम्मीदवार उतारते रहे हैं। हालांकि, राजपूत, यादव, पासवान और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक स्थिति में रहते हैं। यही कारण है कि बाढ़ सीट पर हर चुनाव में जातीय ध्रुवीकरण का गहरा असर देखने को मिलता है।
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बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2.46 लाख वोटर हैं, जिनमें 1.34 लाख पुरुष और 1.11 लाख महिला मतदाता शामिल हैं। क्षेत्र में कई पंचायत और ब्लॉक ऐसे हैं, जो आखिरी समय में चुनावी गणित को पूरी तरह से बदलने की ताकत रखते हैं। मोकामा सीट की तरह यहां भी भूमिहार मतदाता चुनावी राजनीति की धुरी माने जाते हैं, लेकिन राजपूत समुदाय की अहमियत को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
इतिहास गवाह है कि इस सीट ने हमेशा बिहार की सत्ता समीकरण को प्रभावित किया है। आने वाले चुनावों में एक बार फिर यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा के ज्ञानेंद्र सिंह अपना दबदबा बनाए रख पाते हैं या विपक्ष जातीय गठजोड़ के जरिए उन्हें कड़ी टक्कर देता है।






















