बिहार सरकार ने युवा बेरोजगारी के खिलाफ अपनी लड़ाई को एक कदम आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना (unemployment-allowance) का विस्तार करने का निर्णय लिया है। अब सिर्फ 12वीं उत्तीर्ण युवाओं तक सीमित यह योजना अब स्नातक पास युवाओं को भी शामिल करेगी। इस बदलाव का मतलब साफ है — राज्य सरकार ने सक्रिय रूप से उन युवाओं की आर्थिक सहायता करने का मार्ग तैयार किया है जो उच्च शिक्षा पूरी कर चुके हैं, लेकिन अभी रोजगार नहीं पा सके हैं।
योजना के पुराने स्वरूप में 20 से 25 वर्ष के बीच के बेरोजार युवा केवल इंटर (12 वीं) उत्तीर्ण होने पर ही लाभ हासिल कर सकते थे। लेकिन अब सरकार ने इसे अपडेट कर दिया है: स्नातक उत्तीर्ण युवक-युवतियों को प्रति माह 1,000 रुपए का भत्ता दो वर्ष तक दिया जाएगा। यह कदम ऐसे समय में आया है, जब राज्य में युवाओं को रोजगार मिलने की चुनौती बढ़ रही है, और वे प्रतियोगी परीक्षाओं, स्वरोजगार या नौकरी प्रयासों में लगे हैं।
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इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि सरकार सिर्फ ‘संकेत’ नहीं दे रही, बल्कि नीति में परिवर्तन कर रही है ताकि अधिक से अधिक युवा योजनाओं की दायरा में आएँ। नई पात्रता शर्तों के अनुसार, वे युवा जो आज किसी सरकारी, निजी या गैर-सरकारी नौकरी में नहीं हैं और किसी शिक्षा संस्था में नामांकित नहीं हैं, उसे इस सहायता का लाभ मिलेगा। यानी अगर कोई स्नातक छात्र आगे की पढ़ाई जारी रखे है, वह इस योजना का लाभ नहीं ले सकेगा।
अधिक रोमांचक यह है कि सरकार ने इस योजना को लोक-उपयोगी और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण व्यवस्था शुरू की है। अधिकारी बताते हैं कि इच्छुक युवा-युवतियों को 7 निश्चय पोर्टल पर आवेदन करना होगा, उसके बाद जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र (DRCC) में दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य है।
हालाँकि, इस योजना की सफलता सीधे तौर पर इसके क्रियान्वयन की दक्षता से जुड़ी है। कुछ जिलों में यह देखा गया है कि आवेदन की गति धीमी रही है और योजना के लक्ष्य मात्र 20 प्रतिशत ही प्राप्त हुए हैं। उदाहरण स्वरूप, बक्सर जिले में इस योजना की प्रगति धीमी रहने पर जिला प्रशासन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा पूर्णिया जिले को इस योजना की रैंकिंग में 28वें स्थान पर रखा गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि राज्य भर में असमान प्रगति देखने को मिलती है।



















