शिवहर में रविवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान ज्योतिष पीठाधीश्वर, धर्माधीश जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Statement) का बयान सियासी गलियारों में नई चर्चा का विषय बन गया है। गौ रक्षा पर उन्होंने जो रुख अपनाया, वह न सिर्फ राजनीतिक दलों को चुनौती देता है बल्कि धार्मिक और सामाजिक विमर्श को भी नए सिरे से खड़ा करता है। शंकराचार्य ने साफ कहा कि “हम उसका समर्थन करेंगे जो गौ माता की रक्षा की बात करेगा, चाहे वह किसी भी दल या संगठन से जुड़ा हो। यहां तक कि अगर AIMIM भी गौ रक्षा की बात करेगी तो हम उसके साथ खड़े होंगे।”
यह बयान न केवल चौंकाने वाला है बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करने वाला माना जा रहा है। हिंदुत्व की राजनीति करने वाले दलों पर सवाल उठाते हुए शंकराचार्य ने पूछा कि जो पार्टियां धर्म और संस्कृति के नाम पर वोट मांगती हैं, वे अपने घोषणापत्र में गौ माता की सुरक्षा का मुद्दा क्यों नहीं शामिल करतीं। उन्होंने कहा कि गौ माता केवल हिंदू धर्म की नहीं बल्कि पूरे भारत की आत्मा हैं और उनकी रक्षा करना राष्ट्र धर्म है।
शंकराचार्य का यह रुख दर्शाता है कि गौ रक्षा को अब केवल धार्मिक मुद्दा न मानकर राष्ट्रीय धरोहर और सांस्कृतिक जिम्मेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए। उनका यह वक्तव्य उन दलों के लिए भी सीधी चुनौती है जो हिंदू वोट बैंक की राजनीति करते हैं लेकिन गौ माता पर चुप्पी साध लेते हैं।
इस अवसर पर उन्होंने शिवहर नगर परिषद की भी प्रशंसा की, जहां सभापति राजन नंदन सिंह और पार्षदों ने सर्वसम्मति से गौ माता को “नगर माता” का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया। शंकराचार्य ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अगर अन्य नगर निकाय भी इस पहल को अपनाते हैं, तो यह भारत की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊँचाई देगा।






















