पटना में आयोजित “अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद” कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शनिवार को एक व्यापक और दूरगामी पहल की घोषणा की। उन्होंने “दलित-आदिवासी न्याय संकल्प” पेश कर बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय को नई दिशा देने की कोशिश की है। इस संकल्प में उन्होंने दलितों, आदिवासियों और अति-पिछड़ों के सर्वांगीण विकास के लिए कई ठोस कदमों का खाका पेश किया, जो न केवल सामाजिक न्याय के दायरे को मजबूत करता है, बल्कि आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण का नया मॉडल भी प्रस्तुत करता है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में विकास का असली चेहरा तभी दिखेगा जब समाज के सबसे वंचित तबकों को समान अवसर और सम्मान मिलेगा। उन्होंने घोषणा की कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित होगी, जो अनुसूचित जाति, जनजाति और अति पिछड़ा वर्गों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक प्रगति की निगरानी करेगी। यह समिति साल में चार बार बैठक कर नीतियों के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी।
इसके अलावा, तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों की नियुक्तियों व प्रोन्नति में होने वाले भेदभाव को खत्म किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर जनसंख्या के अनुपात में करने के लिए बिहार विधान मंडल द्वारा पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार को भेजने का संकल्प जताया।
तेजस्वी यादव ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार बताते हुए डॉ. अंबेडकर शैक्षिक समावेश योजना की घोषणा की, जिसके तहत दलित-आदिवासी युवाओं को उच्च शिक्षा, विदेश छात्रवृत्ति, और कौशल विकास की दिशा में नई सुविधाएं दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि हर साल 200 दलित-आदिवासी युवाओं को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी।
आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उन्होंने 5,000 करोड़ रुपये के “अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमिता कोष” की स्थापना की घोषणा की, जिससे इन वर्गों के युवाओं को व्यवसाय, ठेकेदारी और उद्यमिता में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे। साथ ही, मनरेगा कानून के तहत अनुसूचित जातियों और जनजातियों की कृषि भूमि में प्राथमिकता से सुधार किए जाने की बात कही।
तेजस्वी ने यह भी वादा किया कि “Not Found Suitable” जैसी अवधारणा को समाप्त कर नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा। भूमिहीनों को ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल और शहरी इलाकों में 3 डेसिमल भूमि देने की बात भी शामिल है।
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उन्होंने आरक्षण की निगरानी के लिए एक “आरक्षण नियामक प्राधिकरण” के गठन की घोषणा की और कहा कि किसी भी जाति को आरक्षण सूची से जोड़ने या हटाने का अधिकार केवल विधान मंडल को होगा।
अंत में तेजस्वी यादव ने कहा कि 2018 में SC/ST एक्ट संशोधन के खिलाफ हुए आंदोलनों के दौरान जिन दलितों पर केस दर्ज हुए थे, उनकी सरकार आते ही वे सभी मामले वापस लिए जाएंगे। उन्होंने ऐसे लोगों को “अंबेडकर सेनानी” का दर्जा देने और सम्मानित करने की घोषणा भी की।
















