Bihar Election 2025: चुनाव आयोग द्वारा जैसे ही चुनावी तारीखों का ऐलान हुआ, बिहार की राजनीतिक गलियों में सरगर्मी बढ़ गई है। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों अपने-अपने एजेंडे और रणनीतियों को जनता के बीच ले जाने में जुट गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखे एक संदेश में कहा कि इस दिन (14 नवंबर 2025) को “बिहार के सुनहरे भविष्य की शुरुआत” बताते हुए जनता से महागठबंधन की सरकार बनाने की अपील की है। उनके संदेश ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है—खासतौर पर उन युवाओं में जो बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से ऊब चुके हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि “बदलाव का बिगुल बज चुका है और अब जनता की जीत का शंखनाद होना तय है।” उन्होंने दावा किया कि 20 साल से बिहार जिस ठहराव, कुशासन और बेरोजगारी का सामना कर रहा है, उससे मुक्ति पाने का समय आ चुका है। तेजस्वी ने वादा किया कि उनकी सरकार बनने के बाद बिहार में हर घर के युवाओं को रोजगार मिलेगा और बेरोजगारी दर को ऐतिहासिक रूप से घटाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान न केवल एक भावनात्मक अपील है, बल्कि चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी है। बिहार में युवा मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, और तेजस्वी का पूरा फोकस इसी वर्ग को टारगेट करने पर है। “सरकारी नौकरी सबको मिलेगी” वाला नारा पहले से ही युवाओं के बीच तेजी से वायरल हो चुका है।
तेजस्वी यादव ने मौजूदा एनडीए सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में बिहार ने “घोटाले, अपराध, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, महिला उत्पीड़न और बेरोजगारी” जैसी अनेक आफ़तों का सामना किया है। उन्होंने नीतीश सरकार को “थकी, जर्जर और निष्ठुर” बताते हुए जनता से अपील की कि इस बार अवसर को हाथ से जाने न दें।
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उन्होंने कहा कि “अब बिहार को ऐसा मुख्यमंत्री चाहिए जो डरता न हो, जो बिहार के अधिकार के लिए शेर की तरह दहाड़े, जो भ्रष्टाचार पर प्रहार करे और युवाओं के सपनों को साकार करे।” तेजस्वी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि “व्यवस्था परिवर्तन” का चुनाव है।
विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी की यह रणनीति भावनात्मक और जनसंपर्क दोनों स्तरों पर असर डाल सकती है। उनके भाषणों में रोजगार, सम्मान और आत्मगौरव के मुद्दे केंद्र में हैं, जो आम जनता के दिलों को छू रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह “परिवर्तन की लहर” वाकई राजनीतिक समीकरणों को उलटने में सफल होती है या नहीं।
तेजस्वी यादव ने अपने संदेश के अंत में कहा, “14 नवंबर को बिहार में केवल चुनाव की तारीख नहीं घोषित हुई है, बल्कि बिहार के नए उत्सव की शुरुआत हुई है। इस दिवाली और छठ के बाद जब जनता मतदान करेगी, तब बिहार का असली महात्यौहार मनाया जाएगा—वो दिन जब हर बिहारवासी बनेगा CHANGE MAKER।”






















