Bihar Chunav 2025: सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर मंथन लगातार जारी है। जहां बीजेपी और जेडीयू अपने पुराने फार्मूले पर टिके रहने के संकेत दे रहे हैं, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के लिए 45 से 54 सीटों की मांग रखकर एनडीए के समीकरणों को उलझा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी (आर) बिहार में 45 से 54 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पार्टी का स्पष्ट कहना है कि उन्हें किसी राज्यसभा या विधान परिषद सीट की जरूरत नहीं है, बल्कि वे बिहार की जमीन पर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि चिराग पासवान खुद शाहाबाद इलाके की किसी सीट से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं, जिससे क्षेत्रीय समीकरणों में नया उत्साह देखने को मिल सकता है।
तेजस्वी के सामने चिराग
पार्टी सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान एनडीए के भीतर अपनी पहचान को “डायनेमिक फेस” के रूप में मजबूत कर रहे हैं। उनका मानना है कि बिहार में अगर एनडीए को तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता का मुकाबला करना है, तो उसे नए नेतृत्व और युवा चेहरे की जरूरत होगी, और चिराग इस भूमिका में फिट बैठते हैं।
एलजेपी (आर) की ओर से यह भी साफ किया गया है कि उनकी बातचीत फिलहाल बीजेपी से चल रही है, जेडीयू से नहीं। सूत्रों ने सवाल उठाया कि बीजेपी और जेडीयू के बीच “सौ-सौ सीटों” वाले फार्मूले की कोई आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं हुई है, जिससे संकेत मिलते हैं कि एनडीए के भीतर बातचीत अभी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची है।
बिहार पर फोकस
सूत्रों का यह भी कहना है कि एलजेपी (आर) सत्ता या कैबिनेट पद की बजाय सम्मानजनक सीटों पर अधिक जोर दे रही है। पार्टी का संदेश साफ है कि केंद्र में एक मंत्री पद की जगह बिहार में सम्मानजनक राजनीतिक स्पेस अधिक मायने रखता है। यही वजह है कि चिराग पासवान ने अब तक मंत्रियों के लिए तय सुनहरी बाग रोड स्थित सरकारी आवास में शिफ्ट नहीं किया है।
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इस बीच, यह भी चर्चा है कि चिराग पासवान की पार्टी भविष्य में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के साथ किसी गठबंधन की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। एलजेपी (आर) सूत्रों का कहना है कि “राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं और विकल्प कभी खत्म नहीं होते।”
बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जब एलजेपी (आर) को केवल 20 से 22 सीटें देने की पेशकश की गई थी और पार्टी ने एनडीए से अलग राह पकड़ ली थी। इस बार, पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया है कि 22 सीटों जैसी स्थिति स्वीकार्य नहीं होगी। एलजेपी (आर) प्रवक्ता धीरेंद्र मुन्ना के मुताबिक, पार्टी 43 से 137 सीटों के बीच चुनाव लड़ने को तैयार है और उनकी तैयारी पिछले छह महीनों से पूरी गति पर है।






















