Aurangabad Assembly Election 2025: औरंगाबाद विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 223) बिहार की राजनीति में लंबे समय से महत्वपूर्ण रही है। यह सीट मुख्य रूप से औरंगाबाद शहर और आसपास के शहरी क्षेत्र को कवर करती है और औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 1951 में स्थापना के बाद से यह सीट राजनीतिक दलों के बीच लगातार संघर्ष का केंद्र रही है। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने आठ बार जीत दर्ज की, लेकिन समय के साथ भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए चार बार यहां जीत हासिल की। इसके अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, स्वतंत्र पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी कभी-कभार जीत का स्वाद चखा।
चुनावी इतिहास
2000 में राजद की जीत इस सीट के राजनीतिक परिदृश्य में अहम मोड़ साबित हुई। यह पहली बार था जब किसी गैर-राजपूत उम्मीदवार ने यहां जीत हासिल की, जिसने स्थानीय सियासी समीकरणों को चुनौती दी। भाजपा के रामाधर सिंह ने चार बार इस सीट से प्रतिनिधित्व किया और पार्टी के लिए मजबूत आधार तैयार किया।
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2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, लेकिन 2015 में सत्ता समीकरण पूरी तरह पलट गया। राजद–कांग्रेस–जेडीयू महागठबंधन की लहर में राजद के आनंद शंकर सिंह ने जीत हासिल की और इस सीट पर पार्टी की पकड़ को पुनः मजबूत किया। 2020 के चुनाव में कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह ने भाजपा के रामाधर सिंह को करीबी मुकाबले में हराया, जबकि बसपा के अनिल कुमार तीसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने 18 हजार वोट प्राप्त किए।
जातीय समीकरण
राजपूत बाहुल्य होने के कारण औरंगाबाद विधानसभा सीट पर सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कुल मतदाताओं में राजपूत समुदाय का हिस्सा 22 प्रतिशत से अधिक है और यह समुदाय आम तौर पर राजपूत उम्मीदवारों का समर्थन करता है, चाहे वे किसी भी पार्टी से हों। यादव मतदाता भी ठीक-ठाक संख्या में हैं, और सीट की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जातियों का हिस्सा 21.64 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 19 प्रतिशत हैं, जिससे चुनावी समीकरण और जटिल हो जाते हैं।






















