Shivdeep Lande: बिहार की सियासत में एक नया और दिलचस्प मोड़ आ गया है। ‘सिंघम ऑफ बिहार’ कहे जाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप वामनराव लांडे ने अररिया और मुंगेर के जमालपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। लांडे के राजनीति में उतरने से सीमांचल की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है।
2006 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे लांडे ने 18 साल की सेवा के बाद इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत होते ही उन्होंने अपने अगले कदम का ऐलान कर दिया। पुलिस सेवा में रहते हुए लांडे की छवि एक कड़क, ईमानदार और जनता के बीच लोकप्रिय अधिकारी की रही है।
IPS से जनता के नेता बनने की कहानी
महाराष्ट्र के परभणी जिले के मूल निवासी शिवदीप लांडे की पहली पोस्टिंग बिहार के मुंगेर जिले में हुई थी। वहां उन्होंने नक्सलियों और अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ एक के बाद एक बड़ी कार्रवाई की। जमालपुर में पत्थर चोरी और नकली कॉस्मेटिक रैकेट का पर्दाफाश कर उन्होंने अपराध जगत में हलचल मचा दी थी। बाद में अररिया जिले में एसपी रहते हुए उन्होंने तस्करी और मानव व्यापार पर सख्त कार्रवाई की और भारत-नेपाल सीमा पर अपराधियों की कमर तोड़ दी।
लांडे की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनके तबादले पर अररिया और फारबिसगंज में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। वे आम जनता के बीच इतने लोकप्रिय थे कि उन्होंने खुद अपना मोबाइल नंबर युवाओं और कॉलेज छात्राओं को दिया ताकि वे सीधे संपर्क कर सकें। यह कदम उन्हें जनता का भरोसा दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ।
मुंबई से पटना तक चर्चा में रहे ‘सुपरकॉप’
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान मुंबई पुलिस के एंटी-नारकोटिक्स सेल में रहते हुए लांडे ने कई ड्रग तस्करों के नेटवर्क को खत्म किया। उनके नेतृत्व में सैकड़ों करोड़ के ड्रग सिंडिकेट्स का भंडाफोड़ हुआ। इस दौरान वे एक बार फिर ‘सुपरकॉप’ के नाम से चर्चाओं में रहे।
अब जनता के बीच ‘हिन्द सेना’ के साथ
सेवा छोड़ने के बाद लांडे ने ‘रन फॉर सेल्फ’ कैंपेन चलाया, जिसमें उन्होंने युवाओं के साथ दौड़ लगाकर उन्हें जागरूकता और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। इसी अभियान के बाद उन्होंने ‘हिन्द सेना’ नाम से अपनी राजनीतिक संगठन की नींव रखी। हालांकि इस संगठन को अभी चुनाव आयोग की मान्यता नहीं मिली है, लेकिन लांडे ने साफ कर दिया कि वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जनता के बीच उतरेंगे।
उन्होंने कहा कि वर्दी में रहकर उन्होंने अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन अब वे जनता के बीच रहकर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर जनता की आवाज बनना चाहते हैं।
सीमांचल में बढ़ी हलचल
शिवदीप लांडे का अररिया से चुनाव लड़ना सीमांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। इस इलाके में मुस्लिम और यादव मतदाताओं का प्रभाव है, वहीं लांडे की छवि सभी समुदायों में सम्मानित मानी जाती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनकी एंट्री से पारंपरिक वोट समीकरणों पर असर पड़ेगा।
बीजेपी, राजद और जदयू जैसे दलों के लिए लांडे की लोकप्रियता नई चुनौती बन सकती है। सीमांचल क्षेत्र में पहली बार कोई पूर्व आईपीएस इतने संगठित तरीके से राजनीति में उतर रहा है, जिससे चुनावी मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है।






















