बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की आहट के साथ ही एनडीए गठबंधन के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर गहमागहमी बढ़ती जा रही है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ही दल अंदरूनी स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के कई मौजूदा विधायकों का टिकट इस बार कट सकता है। पार्टी उन चेहरों पर भरोसा जता रही है, जो नए सिरे से संगठन को ऊर्जा दे सकें और जनता के बीच बेहतर छवि रखते हों।
जानकारी के मुताबिक, हिलसा से प्रेम मुखिया, गोपालपुर से गोपाल मंडल, कुशेश्वरस्थान से अमन भूषण हजारी और सुरसंड से दिलीप राय का टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है। वहीं हरनौत सीट पर वर्तमान विधायक हरी नारायण सिंह की जगह उनके बेटे को मौका देने की चर्चा है। इसी तरह सकरा सीट से मंत्री अशोक चौधरी की जगह उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारे जाने की तैयारी चल रही है। इन बदलावों को जेडीयू की “नई पीढ़ी को आगे लाने” की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
जहां भतीजा वहां चाचा.. चिराग पासवान की सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे पशुपति पारस
वहीं दूसरी ओर, बिहार भाजपा ने भी संगठनात्मक रिपोर्ट के आधार पर बड़ा कदम उठाने के संकेत दिए हैं। पार्टी ने सभी विधानसभा सीटों के लिए तीन-तीन संभावित उम्मीदवारों के नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेज दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा इस बार करीब 15 से 18 मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। इसका उद्देश्य “एंटी-इनकंबेंसी” यानी जनविरोध से बचना और युवा, सक्रिय चेहरों को मैदान में उतारना है।
इन सबके बीच एनडीए में टिकट बंटवारे और सीट शेयरिंग को लेकर उठ रहे सवालों पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि “एनडीए गठबंधन पूरी तरह एकजुट है। न तो चिराग पासवान नाराज हैं, न जीतन राम मांझी। सीट बंटवारे की तस्वीर जल्द साफ होगी और समय पर टिकटों की घोषणा कर दी जाएगी।” अशोक चौधरी के इस बयान को एनडीए में “डैमेज कंट्रोल” की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, ताकि चल रही खींचतान के बीच एकजुटता का संदेश दिया जा सके।






















