बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राज्य में सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) द्वारा हाल ही में की गई ‘हर घर में सरकारी नौकरी’ देने की घोषणा ने सियासी पारे को और गरमा दिया है। जहां तेजस्वी यादव इस ऐलान के जरिए युवाओं के बीच रोजगार के वादे से राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष यानी जदयू और एनडीए नेताओं ने इस पर तीखा पलटवार किया है।
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी की घोषणा को “चुनावी बुलबुला” बताया। उन्होंने कहा कि जनता अब लालू-राबड़ी के दौर और नीतीश कुमार के शासन के फर्क को भलीभांति समझ चुकी है। चौधरी के मुताबिक, “तेजस्वी यादव सिर्फ सनसनी फैलाने का काम कर रहे हैं। लोगों को पता है कि नीतीश कुमार स्थिर और व्यवस्थित सरकार चलाते हैं। केवल नौकरी के नाम पर जनता को बहकाया नहीं जा सकता।”
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वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन प्रसाद ने तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह “शताब्दी का सबसे बड़ा झूठ” है। उन्होंने आरोप लगाया कि “लालू-राबड़ी शासनकाल में रोजगार की जगह अपराध, फिरौती और कट्टा कल्चर फला-फूला था। नौकरी देने के नाम पर लालू यादव ने ‘जमीन के बदले नौकरी’ जैसा घोटाला किया। अब वही लोग फिर से रोजगार की राजनीति कर रहे हैं, जबकि असल में नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में 10 लाख से अधिक नौकरियां दी हैं और अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ नौकरियों का लक्ष्य तय किया है।”
एनडीए सरकार में मंत्री हरि सहनी ने भी तेजस्वी यादव को घेरते हुए कहा कि “लालू-राबड़ी के शासन में जितना बोल रहे हैं, उसका 1% भी नौकरी नहीं दी गई। उस दौर में सत्ता का मतलब परिवारवाद था, जनता का नहीं। अब बिहार बदल चुका है। एनडीए शासन में बिहार जंगलराज से मंगलराज की ओर बढ़ा है और जनता फिर से एक मजबूत सरकार बनाना चाहती है।”






















