कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह (Akhilesh Prasad Singh) ने पार्टी दफ्तर में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार में वर्षों से बने “माफिया राज” पर तीखा हमला किया और महागठबंधन की सरकार बनने पर माफिया-शासन के अंत का वादा किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो माफियाओं का सफाया किया जाएगा और जिन लोगों ने गरीबों व असरदार समूहों का शोषण किया है, उनका स्थान या तो जेल होगा या जहन्नुम।
अखिलेश सिंह ने अपने बयान में 12 प्रकार के माफियाओं की पहचान का जिक्र करते हुए माइक्रोफाइनेंस को “सबसे बड़ा माफिया” करार दिया और उसका ठोस आंकड़ा भी प्रस्तुत किया: बिहार में करीब 1.09 करोड़ महिलाओं के ऊपर कुल 30 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जिनके जरिए गरीबों का शोषण चल रहा है — ऐसी महिलाओं को आर्थिक राहत और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं पर कठोर कार्रवाई उनकी प्राथमिकताओं में होगी। इस बयान का तात्पर्य संवैधानिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप से लेकर कर्ज-माफी/राहत तक के कदमों का इशारा देता है, जो चुनावी एजेंडा और सार्वजनिक विश्वास को जोड़ने की कोशिश है।
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सिर्फ़ माइक्रोफाइनेंस ही नहीं — डॉ. सिंह ने भू-माफिया, बालू (रेत) माफिया, अवैध खनन, पेपर-लीक और शिक्षा-माफिया तथा शराबबंदी के आसपास बन चुके अवैध तंत्रों का विस्तृत खाका पेश किया और आरोप लगाया कि कई मौक़ों पर स्थानीय प्रशासन, पुलिस और कुछ नेताओं की मिलीभगत से ये धंधे फल-फूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि नदी किनारों पर सैटेलाइट निगरानी, दोषी ठेकेदारों की ब्लैकलिस्टिंग, कुर्की-जब्ती और ब्लैकमनी के खिलाफ़ आर्थिक जांच जैसे कदम उठाए जाएंगे, ताकि अवैध खनन और धनशोधन के नेटवर्क टूटें। यह रणनीति स्थानीय संसाधन नियंत्रण और भूमि-प्रबंधन के पारदर्शीकरण पर केंद्रित दिखती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश सिंह ने यह भी कहा कि पटना में सचिवालय और सरकारी कार्यालयों के पास ‘दलालों’ का एक समूचा तंत्र सक्रिय है जो ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे मामलों में दखल देता है; उनकी सरकार आने पर ऐसे दलालों और रिश्वत लेने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस अपील में प्रशासनिक सुधार और ट्रांसपेरेंसी की मांग साफ़ झलकती है, जो वोटरों के बीच लोकपाल-जैसी छवियों और जवाबदेही के वादों के साथ जुड़ सकती है।






















