बिहार की राजनीति में नवादा विधानसभा सीट (Nawada Assembly 2025) को हमेशा से ही वीआईपी सीट माना गया है। 1951 में स्थापित इस विधानसभा क्षेत्र ने अब तक 19 चुनावों का गवाह बना है, जिनमें अस्थिरता और अनिश्चितता की कहानी बार-बार दोहराई गई। कांग्रेस ने शुरुआती दौर में इस सीट पर दबदबा बनाए रखा, लेकिन आखिरी बार उनकी जीत 1985 में दर्ज हुई। 1952 के पहले चुनाव में नवादा से दो विधायक चुने गए, जो दोनों कांग्रेस के थे। राम किशुन सिंह और शक्ति कुमार ने शुरुआती दौर में कांग्रेस का परचम लहराया।
राजनीतिक इतिहास
1990 का चुनाव नवादा के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जब कृष्ण प्रसाद ने भाजपा को पहली जीत दिलाई। उन्होंने तत्कालीन विधायक नरेंद्र कुमार को 14,694 मतों के अंतर से हराया। दुर्भाग्यवश, 1995 में कृष्णा प्रसाद की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, लेकिन उनके भाई राज बल्लभ प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के कौशल यादव को 27,357 मतों से पराजित किया।
2000 में राजबल्लभ प्रसाद ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और निर्दलीय उम्मीदवार शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को 51,402 वोटों के अंतर से हराया। इस जीत ने नवादा में राजद की पैठ को मजबूत किया। फरवरी 2005 में कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव ने नवादा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की, और अक्तूबर 2005 व 2010 में भी उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई। 2010 में पूर्णिमा यादव ने जदयू के टिकट से चुनाव जीता और राजबल्लभ यादव को मात्र 6,337 वोटों के अंतर से पराजित किया।
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2015 में राजबल्लभ प्रसाद ने वापसी की और बीएलएसपी के इंद्रदेव प्रसाद को 16,726 वोटों से हराकर जीत हासिल की। लेकिन 2016 में उन पर गंभीर यौन शोषण का आरोप लगा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 14 अगस्त 2025 को पटना हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। इस घटनाक्रम के कारण नवादा में उपचुनाव हुआ, जिसमें जदयू के कौशल यादव विजयी रहे।
वर्तमान में यह सीट राष्ट्रीय जनता दल के नियंत्रण में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी की महिला प्रत्याशी विभा देवी ने जीत दर्ज की, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी श्रवण कुमार दूसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा 2019 में नवादा में हुए उपचुनाव में एनडीए के कौशल यादव ने जीत हासिल की थी।
जातीय समीकरण
नवादा विधानसभा सीट का सामाजिक और जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल भी चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभाता है। अनुसूचित जाति के मतदाता 21.38% हैं और मुस्लिम मतदाता 14.8% हैं। क्षेत्र की 73.38% आबादी ग्रामीण है और केवल 26.62% शहरी मतदाता हैं। इस ग्रामीण और जातिगत मिश्रित संरचना के कारण नवादा विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दे निर्णायक साबित होते हैं।






















